वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के साथ पूर्व सीएम हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष बने गणेश गोदियाल को बधाई देते पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत।
कांग्रेस ने हाल ही में उत्तराखंड इकाई में बड़े संगठनात्मक बदलाव किए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस ने 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जातीय समीकरण के हिसाब से ये बदलाव किए हैं।
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एक तरफ कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के नेता, खासकर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्गों को निर्णायक मानते हैं, और खुद को उनका हितैषी बताते हैं।
वहीं दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस ने अपने ताजा जातीय समीकरण में ब्राह्मण-ठाकुर वर्ग को तवज्जो दी है। 27 जिलाध्यक्षों में ठाकुर और ब्राह्मण समुदाय के नेताओं का दबदबा भी 60% तक है। जबकि ब्राह्मण-ठाकुर वर्ग का वोटर पिछले 10 सालों में कांग्रेस से दूरी बनाता जा रहा है और दलित वर्ग का वोट प्रतिशत बढ़ा है।
राहुल और हरीश रावत के बयानों से समझिए कैसे एक पार्टी की दो सोच
- राहुल गांधी: 25 जुलाई 2025 को राहुल गांधी कहते हैं कि देश की 90 फीसदी आबादी प्रोडक्टिव फोर्स है, लेकिन आर्थिक लाभ केवल कुछ ही वर्ग तक सीमित हैं। वहीं, 31 जनवरी 2025 को उन्होंने माना था कि अगर कांग्रेस ने 1990 के दशक में दलित और ओबीसी वर्ग के हितों को नजरअंदाज न किया होता, तो आरएसएस सत्ता में नहीं पहुंच पाती।
- हरीश रावत: पूर्व सीएम हरीश रावत अपने एक बयान में कहते हैं सनातन, कांग्रेस और ब्राह्मण इन तीनों का मेल है। इनके मेल का जब भी संयोग बना है इसने देश को मजबूत किया है। संगठन में बदलाव से पहले ही उन्होंने इशारों में बता दिया था कि कांग्रेस ब्राह्मण वर्ग का खासा ख्याल रखने वाली है।

अब समझिए नए बदलावों की गणित
मंगलवार को कांग्रेस ने उत्तराखंड कांग्रेस की कमान ब्राह्मण जाती से आने वाले गणेश गोदियाल को सौंपी। इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति क्षेत्र की चकराता सीट से विधायक प्रीतम सिंह (एसटी) को चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाया और हरक सिंह रावत (ठाकुर) को चुनाव प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी दी। हालांकि 27 जिलाध्यक्षों में 10 ठाकुर और 6 ब्राह्मण हैं, यानि की कुल पदों का 60% सवर्ण वर्गों को दिया गया, जबकि दलित और पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व कम है।
4 प्वाइंट्स में जानिए कांग्रेस के लिए ये समीकरण क्यों जरूरी…
- ठाकुर वोट में BJP की बढ़त: 2017 से 2022 के बीच ठाकुर मतदाताओं का झुकाव बीजेपी की तरफ रहा है। 2017 में जहां BJP को लगभग 53% ठाकुर वोट मिला था, 2022 में यह बढ़कर 60% पर पहुंच गया। दूसरी ओर कांग्रेस का हिस्सा 29% से घटकर 26% रह गया।
- लगातार कम हो रहे ब्राह्मण वोट: ब्राह्मण वोट बैंक में तो बदलाव और भी तेज रहा। 2017 में BJP को इस समुदाय से 52% वोट मिला था, जो 2022 में बढ़कर 63% तक पहुंच गया, यानी सीधे 11% की छलांग। इसके मुकाबले कांग्रेस का वोट शेयर 28% से गिरकर 26% रह गया।
- दलितों ने थामे रखा कांग्रेस का हाथ: इसके उलट दलित समुदाय में कांग्रेस का ग्राफ ऊपर गया है। BJP का दलित वोट शेयर 2017 के 37% से गिरकर 2022 में 26% रह गया, जबकि कांग्रेस का समर्थन बढ़ा है।
- ब्राह्मण-ठाकुर वोटर्स ज्यादा: उत्तराखंड में ठाकुर (35%) और ब्राह्मण (25%) मिलाकर कुल 60% सवर्ण वोट शेयर बनाते हैं, जबकि बाकी सभी वर्ग- अल्पसंख्यक (16%), एसटी-ओबीसी (18.9%) और एससी (2.81%) सिर्फ 40% हैं। अब तक हर मुख्यमंत्री भी इन्हीं दो वर्गों से बने हैं।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनने पर गणेश गोदियाल को मिठाई खिलाते पूर्व सीएम हरीश रावत।
इस वर्ग को रिझाने की कोशिश में कांग्रेस- रावत वरिष्ठ पत्रकार, जय सिंह रावत ने कांग्रेस के इस पूरे समीकरण पर कहा कि पहले के समय ब्राह्मण और अनुसूचित जाति वर्ग के वोटर्स हमेशा से कांग्रेस के पक्ष में रहते थे। लेकिन ये आधार अब खिसककर भाजपा की तरफ शिफ्ट हो गया। और अब कांग्रेस कहीं न कहीं इस वर्ग के लोगों को रिझाने की कोशिश कर रही है। वो आगे कहते हैं-
गणेश गोदियाल लिबरल नेता रहे हैं, भले ही वो ब्राह्मण वर्ग से आएं, मगर उनपर कोई खास जातीय ठप्पा नहीं है। हालांकि उनको आगे करने से कुछ हद तक कांग्रेस को फायदा मिल सकता है।

‘एनडी तिवारी के समय कांग्रेस में शिफ्ट हुआ सवर्ण मत’ राजनीतिक विश्लेषक अविकल थपलियाल ने कहा कि एनडी तिवारी के दौर में सवर्ण मत कांग्रेस के तरफ भी शिफ्ट हुआ था, लेकिन अब वे हैं नहीं। कांग्रेस के ब्राह्मण चेहरे या तो भाजपा में चले गए या फिर खुद की पार्टी में हाशिए पर आ गए। लेकिन अब उन्होंने इस जातिगत समीकरण को समझते हुए गणेश गोदियाल, हरक सिंह रावत और प्रीतम सिंह की जो त्रिवेणी बनाई है, ये पूरी तरह से 2027 के चुनाव को देखते हुए बनाई गई है।



