राजस्थान में इस साल हुई भारी बारिश से प्रदेश के अधिकतर जिलों में किसानों को नुकसान हुआ है। बारिश का दौर थमने के बाद जो हालात सामने आ रहे हैं वो डराने वाले हैं।
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राजस्थान की कई मुख्य फसलें इस बार बारिश के कारण खराब हो गई हैं। दौसा, भरतपुर के बाद आज पढ़िए नागौर के किसानों का दर्द, जिनकी आंखों के सामने एकदम तैयार फसल गल गई। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
‘मैंने 3 लाख रुपए कर्ज लेकर 60 बीघा खेत में मूंग की बुआई की थी…अब खेत में कुछ नहीं बचा है। जिनसे कर्जा लिया है वो सर के बाल भी नहीं छोड़ेंगे और हालत अभी से ही ये हो गई है कि मुंह छिपाना पड़ रहा है। हम तो साहूकारों के लिए चोर हो गए हैं।’
ये दर्द है नागौर जिले के बीजाथल गांव के किसान मांगूराम लामरोड़ का। जिले के अधिकतर हिस्सों में खेत तालाब बन गए हैं। जून में मूंग, मूंगफली, ग्वार, बाजरा और ज्वार समेत खरीफ की कई फसलों की बुआई की गई थी। सितंबर के बाद कटाई कर फसल को मंडी में बेचने की तैयारी थी, लेकिन पूरी फसल खराब हो गई।
डूबे खेत से पानी निकालने के लिए ले रहे कर्ज
नागौर जिले के भगवानपुरा गांव में हम पहुंचे तो वहां किसान खेतों में से पानी को निकाल रहे थे। छोटूराम पानी से लबालब अपने खेत के बीच में फावड़ा लेकर बाड़ को तोड़ रहे थे।

पानी से भरे खेत को दिन रात जनरेटर के जरिए निकाला जा रहा है। किसान का कहना है कि ऐसा मंजर पहली बार देखा है।
रुआंसा होकर बोले- 40 बीघा खेत में मूंग, ग्वार और बाजरा की बुवाई की थी। कुछ भी नहीं बचा है, चारा भी नहीं रहा है। अब हम क्या करें? पैसा उधार लेकर तो फसल बोई थी।
सितंबर के बाद कटाई की तैयारी थी। अब फसल तो छोड़िए, खेतों से पानी को निकालने के लिए पैसा खर्च करना पड़ रहा है। ये पानी बाहर निकलेगा तभी दूसरी फसल की बुआई करूंगा। छोटूराम ने हमसे कहा कि अब सरकार ही हमारी कोई मदद कर सकती है।

छोटूराम का कहना है कि – कई महीनों की मेहनत से बोई फसल जब बर्बाद होती है तो ये पहाड़ टूटने जैसा है।
18 बीघा खेत में दो-दो बार बुआई की, दो बार सैलाब ने भर दी नाड़ी
नागौर जिले के लुंगिया गांव के किसान लक्ष्मण मेघवाल ने बताया कि उन्होंने कर्जा लेकर खेती की थी। अब बारिश के बाद सब कुछ तबाह हो गया है।
इस बार खेती ने हमें जो जख्म दिया है वो भरना मुश्किल है। इस बार तो दो बार बुआई की थी, अब तीसरी बार की न तो हिम्मत बची है और न ही इसके लिए पैसा बचा है।

नागौर जिले में कई खेत पनी से लबालब हो चुके हैं। किसानों के सामने संकट है कि वे अगली बुवाई कब करेंगे।
पहली बार में इस 18 बीघा खेत में ग्वार और बाजरी बोई थी, उसमें कुछ नहीं बचा तो लोगों ने कहा दुबारा कर लो। फिर से 40 हजार रुपए उधार लेकर बुआई की थी। जैसे ही फसल तैयार हुई तो सैलाब आ गया और ये खेत किसी नाड़ी की तरह भर गए।
इस बार जो बारिश हुई, ऐसा तो मैंने कभी देखा ही नहीं था। इतना बड़ा खेत एक झटके में ही तालाब बन गया था। हालत ये थे कि सब घरों में कैद होकर रह गए और खेत में खड़ी फसलें बह गईं।
जिनसे कर्जा लिया था, उन्हें भी पता चल गया है कि लक्ष्मण के खेत में कुछ नहीं है तो उन्होंने भी अभी से ही मांगना शुरू कर दिया है। अब बीज वाले को, ट्रैक्टर वाले को क्या दूंगा? दो गाय और इन बकरियों को कैसे खिलाऊंगा?

20 बीघा खेत में पानी ही पानी, बाहर भी नहीं निकाल सकते
बीजाथल गांव के बिल्लाराम गुर्जर ने बताया कि उन्होंने 20 बीघा खेत में मूंग बोया था। घुटनों तक फसल एकदम लहलहा रही थी।
खेत में पानी आ जाने से पूरी फसल और खेती बर्बाद हो गई है। करीब 60-70 हजार खर्च करने के बाद अब भी पानी नहीं निकला है। अब कोई सरकारी मुआवजा मिलेगा तो ही कोई सहायता हो सकती है।
अब दीपावली तक तो ये पानी ही खेत से बाहर निकलना मुश्किल है। पानी निकालें भी तो किधर निकालें? कुछ समझ ही नहीं आ रहा है। जब तक पानी नहीं सूखेगा अगल फसल की बुआई भी मुश्किल है।

बीजाथल गांव में दूर से देखने पर खेत तालाब की तरह नजर आते हैं। ये हाल नागौर के अधिकतर गांवों का है।
खेत की बाड़ और माठ से चारा बटोर रहे, अंदर जाना जानलेवा
बड़ायली गांव के किसान महेंद्र गोदारा ने बताया कि हमने 60 बीघा जमीन में मूंग की खेती की थी। अब तो खेतों में सिर्फ पानी बचा है। जानवरों के लिए खेत में चारा भी नहीं है।
हालत ये है कि खेत में इतना पानी भर गया है कि अंदर जाना ही जानलेवा है। यही कारण है कि बाड़ से चारा चुगकर जानवरों को खिला रहा हूं। उन्हें भी रखना मुश्किल हो गया है।
इसके बाद महेंद्र हमें अपने खेत कि तरफ ले गए। खेत में पानी का तालाब बना हुआ था। महेंद्र ने हमें सड़क पर से ही खेत दिखाया कि उनकी मूंग की फसल कैसे बर्बाद हुई पड़ी है।
पड़ोसी किसान रामपाल के हाल भी कुछ ऐसे हैं। उन्होंने बताया कि 80 बीघा खेत में मूंग बोये थे। वहां मूंग की जगह पानी ही नजर आ रहा है।
66 बीघा में मूंग की फसल थी, खेतों में कचरा तैर रहा
अखावास गांव के बक्साराम ने बताया कि उनके पूरे परिवार ने 66 बीघा खेत में मूंग की फसल बोई थी। अगस्त महीने की शुरुआत में मूंग पर फूल आने लग गए थे। लेकिन इसके बाद बारिश ने अपना रंग दिखा दिया।
मेरे खेत ही नहीं इस पूरे गांव में हर किसान का खेत पानी से लबालब भरा है। खेतों में जाने के रास्ते भी बंद हैं। पूरी फसल पानी में गल चुकी है। खेतों में कचरा तैर रहा है।

किसान आखाराम का कहना है कि परिवार के सामने खाने का भी संकट खड़ा हो गया है। समझ नहीं आ रहा अब गुजारा कैसे होगा।
बक्साराम ने बताया कि पिछले दिनों लगभग हर रोज हो रही तेज बारिश ने खेत को खाली ही नहीं होने दिया। 4 बार पंप लगा कर पानी बाहर निकलवा चुका हूं। अब जाकर बारिश थमी है। 3 लाख रुपए से ज्यादा खर्च हो गए हैं। अगर एक किलो मूंग भी किसी खेत में मिल गई तो ये बहुत बड़ी बात होगी।
खेत में तो अब चारा भी नहीं बचा है। इस बार तो जानवरों के लिए चारा मिलना भी मुश्किल ही है। इस फसल के लिए जो रुपए खर्च करने थे, वो तो कर दिए। मेहनत भी बेकार गई। अब अगर सरकार ने हम किसानों को यहां कोई सहायता नहीं दी तो गांव के कई किसानों को तो पेट पालने के लिए पलायन तक करना पड़ेगा।

रोहिसा की किसान दुर्गा माली ने बताया कि 22 बीघा जमीन में मूंग की बुआई की थी। फसल छोड़ो चारा भी नहीं बचा है, सब गल गया है।

नागौर जिले के मेड़ता में जलमग्न हुए खेतों की ड्रोन से ली गई तस्वीर।
सरकार ने दिए फसल खराबे की गिरदावरी के निर्देश
बुधवार को संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने विधानसभा में कहा कि प्रदेश में अतिवृष्टि से फसलों को हुए नुकसान को देखते हुए फसल खराबे का आकलन किया गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी इस संबंध में सभी प्रभारी मंत्रियों और सचिवों की बैठक ली है। खराबे की रिपोर्ट के आधार पर सहायता राशि दी जाएगी।
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भारी बारिश से इस बार खरीफ की फसलों को खासा नुकसान पहुंचा है। अकेले दौसा जिले के 20 गांवों में बाजरे की फसल चौपट हो गई है। नमी और बारिश के चलते सबसे ज्यादा नुकसान बाजरे को ही हुआ है। पूरी खबर पढ़िए…