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जैसलमेर बस हादसे में झुलसे पीर मोहम्मद की ये तड़प आग में जलने से भी ज्यादा दर्द दे रही है। हादसे में वे तो बच गए, लेकिन दो बच्चों को नहीं बचा पाए। जैसलमेर से जोधपुर तक एंबुलेंस में पीर मोहम्मद बार-बार अपने भाई जम्मे खां से यही दर्द बयां करते रहे। जम्मे खां ने भास्कर को बताया कि पीर मोहम्मद बस में सबसे पीछे की सीट पर था।
जैसलमेर से जोधपुर लौट रही एसी बस में मंगलवार (14 अक्टूबर) दोपहर आग लगने से 20 लोग जिंदा जल गए। 15 लोगों को घायल अवस्था में जोधपुर में महात्मा गांधी हॉस्पिटल में रेफर किया गया।
इस दौरान घायलों के परिजन भी वहां पहुंचे। घायलों के परिजनों ने भास्कर को बताया कि कोई अपने परिवार के साथ दिवाली की छुट्टियां मनाने जोधपुर आ रहा था तो कोई परिवार सहित छुट्टी मनाकर जैसलमेर से जोधपुर लौट रहा था। कुछ लोग दीपावली की खरीदारी के लिए जोधपुर आ रहे थे।
आग में झुलसकर लोगों को बचाया बस कंडक्टर रफीक के भाई बताते हैं- वह जैसलमेर से उसके साथ एंबुलेंस में आया। वह टिकट चेक कर रहा था और बस में लास्ट कॉर्नर पर था। तभी अंदर अचानक धुआं सा होने लगा। वह बस का गेट खोलने के लिए आगे की ओर बढ़ा। जैसे ही बस के बीच में पहुंचा तो एक दम बस की छत से आग की लपटें आईं और धमाका हुआ। इस धमाके में वह झुलसकर नीचे गिर गया। झुलसी हुई हालत में वह रेंगता हुआ मेन गेट की तरफ पहुंचा और गेट खोलकर कई लोगों को बाहर निकाला।

घायलों के परिजन बोले- एंबुलेंस खटारा, मरीज को डालने के बाद डीजल भरवाया हादसे में घायल परिजन मगन का कहना था कि सेना, प्रशासन ने बहुत सहायता की। पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात थी। ग्रीन कॉरिडोर बनाकर घायलों को जोधुपर लाया गया, लेकिन एंबुलेंस ही खटारा थी। अन्य परिजन भी एम्बुलेंस की हालत से काफी नाराज नजर आए।
घायल कंडक्टर रफीक के भाई ने कहा कि मरीज को एंबुलेंस में डालने के बाद डीजल भरवाया गया। ओटीपी का इंतजार किया गया। उसके बाद भी एंबुलेंस की स्पीड बहुत कम थी। लाइट भी नहीं थी। उन्होंने कार की टेल लाइट की रोशनी से एंबुलेंस को एस्कॉर्ट किया।
5 लोगों का परिवार जिंदा जला जैसलमेर में आयुध डिपो पर तैनात सेना का जवान महेंद्र, अपनी पत्नी पार्वती, बेटी खुशबू-दीक्षा व बेटे शौर्य के साथ जोधपुर छुट्टी मनाने आ रहे थे। महेंद्र को उनकी यूनिट के लोगों ने जैसलमेर के कोतवाली थाने के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे से इसी बस में चढ़ते हुए देखा और वे तत्काल जोधपुर पहुंचे।
उसके परिजन भी जोधपुर महात्मा गांधी हॉस्पिटल पहुंचे। महेंद्र और उसके परिवार के बारे में पता नहीं चला फिर प्रशासन से बात करने पर जानकारी मिली कि पूरा परिवार हादसे में जिंदा जल गया।


सेना के जवान महेंद्र की दोनों बेटियां। ये भी बस अग्निकांड का शिकार हुई हैं।
एयरफोर्स का एग्जाम देने गया था महिपाल पोकरण निवासी नाथू सिंह ने बताया कि उसका भतीजा रामदेवरा निवासी महिपाल सिंह एयरफोर्स का एग्जाम देने जैसलमेर गया था। जैसलमेर से इसी बस में रवाना हुआ था। जैसलमेर वॉर मेमोरियल तक बस आई और उसमें आग लग गई। भतीजा महिपाल झुलस गया। उसे महात्मा गांधी अस्पताल में भर्ती करवाया है। जानकारी मिलते ही मैं पोकरण से हादसा स्थल पर पहुंचा। वॉर मेमोरियल के बाहर हादसा होने से आर्मी वालों ने बहुत सहायता की।
पत्नी के साथ जैसलमेर गए थे बैंक कर्मी आशीष दवे अपनी पत्नी विशाखा के साथ जोधपुर से जैसलमेर गए थे। दोपहर में वापस लौट रहे थे। बस में आग लगने से दोनों झुलस गए। आशीष के साढ़ू अमित ने रोते हुए बताया कि भगवान की कृपा रही कि दोनों जिंदा हैं। इस हादसे का शाम को ही पता चला तो होश उड़ गए। दोनों को जिंदा देखा तो राहत मिली।
गाड़ी खरीदने जैसलमेर गए थे जोधपुर के गंगाणा निवासी इकबाल अपने जीजा अफरोज खान के साथ जैसलमेर गए थे। उसके भाई अमजद खान ने बताया कि इकबाल और अफरोज गंभीर घायल हैं। दोपहर साढ़े तीन बजे हादसे की जानकारी मिल गई थी। वह शाम 4 बजे से महात्मा गांधी हॉस्पिटल में बैठे थे। घायलों के आने का इंतजार कर रहे थे।

1 अक्टूबर को हुआ था बस का रजिस्ट्रेशन केके ट्रैवल्स की बसें जोधपुर-जैसलमेर के बीच चलती हैं। ट्रैवल एजेंसी ने पुरानी बस को बदल कर नई एसी बस शुरू की थी। बस चित्तौड़गढ़ आरटीओ से रजिस्टर थी और 1 अक्टूबर को इसका रजिस्ट्रेशन हुआ था।
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