- Hindi News
- National
- Tata Trust Crisis | Tata Trusts Chairman Noel Tata Tata Sons Chairman N Chandrasekaran Meets Amit Shah
नई दिल्ली20 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
समूह के कुछ लोगों का मानना है कि मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाले चार ट्रस्टी टाटा ट्रस्ट्स में नोएल टाटा के नेतृत्व को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।
टाटा ट्रस्ट्स के अध्यक्ष नोएल टाटा और टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। बोर्ड नियुक्तियों और प्रशासन संबंधी मुद्दों पर ट्रस्टियों के बीच चल रहे घमासान के बीच हुई मीटिंग में उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा भी मौजूद रहे।
गौरतलब है कि टाटा ट्रस्ट में चल रहे विवाद से 15.9 लाख करोड़ रु. के ग्रुप पर असर पड़ने की आशंका के बीच मुलाकात अहम मानी जा रही है। इस बीच, टाटा समूह और शापूरजी पलोनजी ग्रुप के बीच विवाद खत्म करने की दिशा में बड़ी पहल हुई है।
टाटा ट्रस्ट्स एसपी ग्रुप को टाटा सन्स में 4-6% हिस्सेदारी बेचने की पेशकश कर सकता है। यह कदम एसपी ग्रुप के लिए जरूरी है क्योंकि उसे 30 हजार करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना है। सरकार की चिंता यह है कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण एसपी ग्रुप भारी कर्ज के चलते डिफॉल्ट न कर दे।

नेतृत्व कमजोर करने का आरोप
टाटा ट्रस्ट्स के पास टाटा संस की 66% हिस्सेदारी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रतन टाटा के बाद चेयरमैन बने नोएल टाटा के एक पक्ष और मेहली मिस्त्री (एसपी ग्रुप) के नेतृत्व वाले दूसरे समूह के बीच फूट है। चार ट्रस्टी पर नोएल के नेतृत्व को कमजोर करने और ‘सुपर बोर्ड’ के रूप में काम करने का आरोप है। टाटा ट्रस्ट्स बोर्ड की 10 अक्टूबर को बैठक होने वाली है।

क्या है टाटा ट्रस्ट में चल रही पावर कंट्रोवर्सी
टाटा ट्रस्ट्स, नमक से लेकर सेमीकंडक्टर तक कारोबार करने वाले इस समूह की प्रवर्तक और होल्डिंग कंपनी, टाटा संस में अपनी लगभग 66% हिस्सेदारी के जरिए भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डालती है।
टाटा ट्रस्ट्स में दो धड़े हैं, जिनमें से एक धड़ा नोएल टाटा के साथ जुड़ा है, जिन्हें रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्ट्स का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। चार ट्रस्टियों के दूसरे समूह का नेतृत्व मेहली मिस्त्री कर रहे हैं, जिनका संबंध विस्तारित शापूरजी पलोनजी परिवार से है, जिसके पास टाटा संस में लगभग 18.37% हिस्सेदारी है।
मेहली को कथित तौर पर लगता है कि उन्हें महत्वपूर्ण मामलों से दूर रखा गया है। सूत्रों के अनुसार, विवाद का मुख्य कारण टाटा संस के बोर्ड में सीटें हैं, जो 156 साल पुराने समूह को नियंत्रित करती है, जिसमें 30 सूचीबद्ध फर्मों सहित लगभग 400 कंपनियां शामिल हैं।
एक सूत्र ने कहा, “देश की अर्थव्यवस्था के लिए टाटा समूह की अहमियत को देखते हुए सरकार के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या वह किसी एक व्यक्ति को इसका नियंत्रण सौंप सकती है। टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टियों के बीच चल रही अंदरूनी कलह का असर टाटा संस पर भी पड़ रहा है।”
सितंबर में हुई बैठक के बाद बढ़ा विवाद
- इस विवाद की जड़ टाटा ट्रस्ट्स के छह ट्रस्टियों की एक मीटिंग से जुड़ी है। यह ट्रस्ट्स सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और रतन टाटा ट्रस्ट सहित कई धर्मार्थ ट्रस्टों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक प्रमुख समूह है। 11 सितंबर को पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह की टाटा संस बोर्ड में नामित निदेशक के रूप में पुनर्नियुक्ति पर विचार करने के लिए बैठक बुलाई गई थी।
- सिंह समेत टाटा ट्रस्ट्स के सात ट्रस्टी हैं। सिंह 11 सितंबर की बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि उनका नामांकन एजेंडे में था। अक्टूबर 2024 में रतन टाटा के निधन के बाद, टाटा ट्रस्ट्स ने एक नीति पेश की जिसके तहत टाटा संस बोर्ड में नामित निदेशकों की 75 साल की उम्र पूरी होने पर एनुअल रीअपॉइंटमेंट जरूरी होगा।
- 11 सितंबर की बैठक में, 77 साल के विजय सिंह, जो 2012 से निदेशक और 2018 से ट्रस्टी रहे, उनकी पुनर्नियुक्ति का प्रस्ताव ट्रस्ट्स के अध्यक्ष नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने रखा था। हालांकि, चार अन्य ट्रस्टियों – मेहली मिस्त्री, प्रमित झावेरी, जहांगीर एचसी जहागीर और डेरियस खंबाटा ने इसका विरोध किया, जिसके कारण प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया।
- इसके बाद, चारों ट्रस्टियों ने मेहली मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड में नामित करने की मांग की, लेकिन नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने इस कदम का विरोध किया और टाटा के मूल्यों के अनुरूप एक पारदर्शी प्रक्रिया की आवश्यकता पर बल दिया। इसके बाद, विजय सिंह ने स्वेच्छा से टाटा संस के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया।
नवल टाटा की दूसरी पत्नी के बेटे हैं नोएल
नोएल नवल टाटा की दूसरी पत्नी सिमोन के बेटे हैं। वहीं रतन टाटा और जिम्मी टाटा नवल और उनकी पहली पत्नी सूनी की संतान हैं। नोएल ने यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स से पढ़ाई की है। नोएल ने टाटा इंटरनेशनल से अपने करियर की शुरुआत की। 1999 में वे ग्रुप की रिटेल शाखा ट्रेंट के मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए गए। इसे उनकी मां सिमोन ने शुरू किया था।
2010-11 में उन्हें टाटा इंटरनेशनल का चेयरमैन बनाया गया। इसके बाद उनके ग्रुप के चेयरमैन बनाए जाने पर चर्चा शुरू हो गई। इस बीच सायरस मिस्त्री ने खुद टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाए जाने की बात कही। इसके बाद सायरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया और रतन टाटा ने ग्रुप की कमान संभाली। 2018 में उन्हें टाइटन का वाइस चेयरमैन बनाया गया और 2017 में उन्हें ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल किया गया।