छतरपुर पीडब्ल्यूडी के शासकीय भवन का फर्जी तरीके से नामांतरण कराकर बेचे जाने के मामले में लगातार कार्रवाई हो रही है। इस प्रकरण में नगरपालिका सीएमओ और तत्कालीन पीडब्ल्यूडी ईई को नोटिस दिए गए हैं। साथ ही तीन को सस्पेंड करते हुए पांच कर्मचारियों पर सिटी
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9 करोड़ के इस भवन को बेचे जाने के मामले में अफसर-कर्मचारियों पर जांच के बाद गाज गिर रही है। इस फर्जीवाड़े में लगातार लोगों के नाम जुड़़ते जा रहे हैं। इसमें किस पर क्या आरोप लगे और क्या भूमिका रही, जानिए…

यह है पूरा मामला: उमाशंकर दफ्तरी से किया उमाशंकर
छतरपुर में बालाजी मंदिर के सामने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के भवन क्रमांक 64, जिसे हाउस ऑफ उमाशंकर दफ्तरी के नाम से जाना जाता है। इस भवन को अंकित मिश्रा ने छतरपुर नगर पालिका सीएमओ माधुरी शर्मा से मिलकर नामांतरण पंजी में उमाशंकर दफ्तरी से सिर्फ उमाशंकर करा दिया और कूटरचित दस्तावेज तैयार कर इस भवन की रजिस्ट्री नौगांव निवासी धीरेन्द्र गौर और नरसिंहपुर निवासी दुर्गेश पटेल के नाम करा दी।
रजिस्ट्री लेखक रघुनंदन प्रसाद पाठक ने जो रजिस्ट्री तैयार की उसमें विक्रेता निशा उपाध्याय पत्नी स्वर्गीय बृजेश उपाध्याय, गोपाल उपाध्याय पुत्र स्वर्गीय बृजेश उपाध्याय, विजय उपाध्याय पुत्र स्वर्गीय बृजेश उपाध्याय निवासी चित्रकूट और राकेश कुमार उपाध्याय पुत्र स्वर्गीय गणेश दत्त उपाध्याय निवासी छतरपुर हैं। गवाह के तौर पर जीतेंद्र कुमार गौर और अंकित मिश्रा के नाम हैं।
5 अक्टूबर 2025 को रजिस्ट्री और कुछ अन्य दस्तावेज सामने आए। प्रशासन की किरकिरी होने के बाद कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने मामले को संज्ञान में लेकर तीन सदस्यीय टीम गठित कर जांच की। इसकी जिम्मेदारी एडीएम मिलिंद नागदेवे, एसडीएम अखिल राठौर और तहसीलदार पियूष दीक्षित को सौंपी। प्रारंभिक चरण में जो नाम सामने आए उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
इसके बाद पीडब्ल्यूडी विभाग ने वर्तमान एसडीओ और सहायक ग्रेड-3 को लापरवाही बरतने पर निलंबित कर दिया है। जिला प्रशासन ने तत्कालीन कार्यपालन यंत्री (ईई) और एसडीओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव तैयार कर लोक निर्माण विभाग के ईएनसी (इंजीनियर-इन-चीफ) कार्यालय भोपाल भेज दिया है।
विभाग के मुख्य अभियंता सागर संभाग ने प्रभारी एसडीओ कमलेश मिश्रा और सहायक ग्रेड-3 विजय कुमार खरे को निलंबित कर दिया है। आदेश में कहा गया कि दोनों अधिकारियों ने उच्च न्यायालय के प्रकरण क्रमांक एफए/06/2005 में पारित आदेश 4 अक्टूबर 2024 पर समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते विभाग की कीमती जमीन बिक गई।
मुख्य अभियंता ने इसे मध्यप्रदेश सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3(1), 3(2) और 3(3) के तहत गंभीर कदाचरण माना है। निलंबन अवधि में एसडीओ कमलेश मिश्रा को पन्ना लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री कार्यालय में अटैच किया गया है, वहीं सहायक ग्रेड-3 विजय कुमार खरे को नौगांव पीडब्ल्यूडी में अटैच किया गया है।

पीडब्ल्यूडी भवन छतरपुर।
पीडब्ल्यूडी भवन नामांतरण प्रक्रिया में अनियमितता
23 दिसंबर 2024 को अंकित मिश्रा ने छतरपुर नगर पालिका में पीडब्ल्यूडी भवन के नामांतरण के लिए फाइल जमा की। 7 जनवरी 2025 को स्थानीय अखबार में आपत्ति दर्ज कराने की सूचना प्रकाशित हुई, लेकिन पीडब्ल्यूडी ने 15 दिनों तक कोई आपत्ति नहीं दर्ज कराई। उस समय राजस्व प्रभारी दयाराम कुशवाहा थे, जिसके कारण फाइल आगे नहीं बढ़ी। अप्रैल 2025 में राजेंद्र नापित को राजस्व प्रभारी बनाया गया। फाइल में कमी होने पर नपा अधिवक्ता ने सिजरा वारसान का ऑर्डर मांगा, जिसे अंकित मिश्रा ने जल्द ही उपलब्ध करा दिया। इसके बाद राजेंद्र नापित ने साइन किए और निवेदिता सोनी के माध्यम से फाइल सीएमओ माधुरी शर्मा तक पहुंचाई, जिन्होंने हस्ताक्षर किए। राजस्व प्रभारी ने रजिस्टर पंजी में नाम दर्ज कराया, और कंप्यूटर ऑपरेटर ने नई आईडी 2000410466 जनरेट की, जिसके आधार पर पीडब्ल्यूडी का भवन बिक गया।
आरोपी कर्मचारी बोला- सब अफसरों की मिलीभगत
फर्जी रजिस्ट्री मामले में आरोपी संविदा कर्मचारी उमाशंकर पाल ने वीडियो जारी किया है। इसमें उसने सीएमओ ( मुख्य नगर पालिका अधिकारी) और नगर पालिका अध्यक्ष पर जांच टीम को गुमराह करने का आरोप लगाया। उसने कहा कि सब अफसरों की मिलीभगत है। मुझे जबरन फंसाया जा रहा।
उसने बताया कि वह राजस्व शाखा प्रभारी राजेंद्र नापित के अधीन रिकार्ड रूम में काम करता था। फाइल दिसंबर महीने में तैयार की गई थी, जब राजाराम कुशवाहा प्रभारी थे। अप्रैल 2025 में प्रभारी बदलकर राजेंद्र नापित बनाए गए, जिनके कार्यकाल में विवाद शुरू हुआ। मामले में सीसीटीवी और नार्को टेस्ट की जाए।

अस्थाई संविदा श्रमिक ने अपने बचाव का वीडियो किया जारी
नगर पालिका के अस्थाई संविदा श्रमिक उमाशंकर पाल ने सोमवार को एक वीडियो जारी कर बताया कि उसका नामांतरण की कागजी प्रक्रिया में कोई कार्य नहीं होता। उसका कार्य सिर्फ शाखा में आई फाइलों को रजिस्टर में चढ़ाना होता है। नामांतरण की फाइल उसके पास तभी आती है, जब अधिकारी उसका परीक्षण कर उसमें हस्ताक्षर कर देते हैं। इसके बाद संबंधित विभाग का कंप्यूटर ऑपरेटर भवन मालिक की आईडी में दर्ज कर देता है।
भवन के दो अलग-अलग आईडी और काबिजदार
छतरपुर नगर पालिका के राजस्व विभाग ने महल रोड स्थित पीडब्ल्यूडी के शासकीय भवन की दो आईडी बनाई हैं। पहली आईडी नंबर 1001582999 में लोक निर्माण विभाग के भवन पर ममता उपाध्याय पति गणेश दत्त को काबिजदार दर्शाया गया है। यह आईडी 2019-20 में ₹300 के प्रॉपर्टी टैक्स से शुरू हुई, जिसमें 11 सालों में कुल ₹13765 का प्रॉपर्टी टैक्स जमा हुआ। दूसरी आईडी नंबर 2000410466, 2015-16 से शुरू हुई, जिसमें पहला प्रॉपर्टी टैक्स ₹675 जमा किया गया। इस आईडी में राकेश उपाध्याय पिता गणेश दत्त, निशा पत्नी ब्रजेश उपाध्याय, गोपाल पिता ब्रजेश उपाध्याय और विजया पिता ब्रजेश उपाध्याय को काबिजदार दर्शाया गया है। इसमें 7 सालों में ₹3900 का प्रॉपर्टी टैक्स जमा किया गया है।

छतरपुर में 4000 स्क्वायर फीट की इस सरकारी इमारत की रजिस्ट्री निजी नाम पर की गई है।
एडीएम बोले- जांच कर अतिक्रमण मुक्त कराएंगे
छतरपुर एडीएम मिलिंद नागदेवे ने बताया कि कूटरचित दस्तावेजों की मदद से पीडब्ल्यूडी विभाग के भवन को बेचे जाने के प्रकरण में छतरपुर नगर पालिका के सहायक राजस्व निरीक्षक राजेंद्र नापित, दयाराम कुशवाहा, तत्कालीन राजस्व शाखा प्रभारी उमाशंकर पाल और प्रभारी उपपंजीयक कंसू लाल अहिरवार तथा रजिस्ट्री लेखक रघुनंदन प्रसाद पाठक के विरुद्ध कोतवाली थाना में एफआईआर दर्ज की गई है। असके अतिरिक्त नगर पालिका सीएमओ, पीडब्लयूडी के स्थाईकर्मी विजय खरे, राजाराम कुशवाहा, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री और रजिस्ट्रार कार्यालय के डीआर को नोटिस जारी किए गए। नोटिस के उपरांत पीडब्ल्यूडी के प्रभारी एसडीओ कमलेश मिश्रा, सहायक ग्रेड-3 विजय कुमार खरे और कर्मचारी राजाराम कुशवाहा को सस्पेंड भी किया गया। प्रकरण के क्रेता-विक्रेता पर जांच के बाद कार्रवाई होगी और जो अन्य नाम सामने आएंगे उन पर भी कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर के निर्देश पर 4 सदस्यीय टीम भी गठित की गई, जो शहर के अंदर मौजूद पीडब्ल्यूडी के भवनों की जांच कर उन्हें अतिक्रमण मुक्त कराएगी।

सीएसपी बोले अभी 5 पर हुई एफआईआर
सीएसपी अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि इस मामले में दोषी पाए गए नगर पालिका के सहायक राजस्व निरीक्षक राजेंद्र नापित, दयाराम कुशवाहा, तत्कालीन राजस्व शाखा प्रभारी उमाशंकर पाल, प्रभारी उपपंजीयक कंसू लाल अहिरवार तथा रजिस्ट्री लेखक रघुनंदन प्रसाद पाठक के खिलाफ कोतवाली थाना में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 318(4) के तहत मामला दर्ज किया गया है। मामले की जांच जारी है, जो अन्य सामने आएंगे उन पर भी कार्रवाई होगी।
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