- Hindi News
- Opinion
- Column By Pandit Vijayshankar Mehta The Human Body, Our Children And Family Are Prasad
16 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
पं. विजयशंकर मेहता
शरीर, संतानें और गृहस्थी परमात्मा का प्रसाद है और प्रसाद के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। आजकल दुनिया के कुछ हिस्सों में महिलाएं एग फ्रीजिंग करवा रही हैं और शादी के बाद उसको प्रयोग में लेंगी। ये मानव आचरण के साथ सीधी छेड़छाड़ है और इसके परिणाम परिवारों को भुगतने पड़ेंगे। भारत का जो पारिवारिक ढांचा है, उसको 10-15 साल में अलग और अजीब किस्म के धक्के लगने वाले हैं।
श्रीराम के जन्म के पूर्व हुए यज्ञ में जो खीर निकली थी, उसका बंटवारा हुआ था। कैकेयी के हाथ में खीर का पात्र था। उनके मन में विचार आया कि ये बंटवारा ठीक नहीं है। तो मन में उथल-पुथल शुरू हुई। और जिस समय प्रसाद प्राप्त करना था, वो किया नहीं तो एक चील ने उस पर झपट्टा मारा। एक हिस्सा चील के पास चला गया।
यहां समझने वाली बात यह है कि कैकेयी प्रसाद लेते समय अशांत थीं और समय का दुरुपयोग कर रही थीं। इसी तरह हम भी समझें कि शरीर, संतानें और परिवार प्रसाद ही हैं। इनके साथ छेड़छाड़ ना करिए।