पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:  दीर्घकाल तक सत्संग से ही संदेहों का नाश होता है

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम: दीर्घकाल तक सत्संग से ही संदेहों का नाश होता है


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1 घंटे पहले

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पं. विजयशंकर मेहता

बचपन में तर्कशक्ति बौद्धिक क्षमता को बताती है। स्मरण-शक्ति कभी भी धोखा दे सकती है, क्योंकि स्मृति में बहुत कम बातें ही रुकती हैं। और एक ही समय में यदि कई चीजों पर ध्यान दिया जाए तो परिणाम में दबाव और तनाव मिलेगा। हम देख रहे हैं हमारे बच्चे इन समस्याओं से जूझ रहे हैं। तो इसका एक तरीका है कि उन्हें सत्संग से गुजारा जाए।

माता-पिता कहते हैं बच्चों को सत्संग में क्यों ले जाएं, अभी उनकी उम्र नहीं है। लेकिन तैयारी बचपन से ही करनी पड़ेगी। गरुड़, राम का रहस्य जानने के लिए शंकर जी के पास पहुंचे तो रास्ते में ही शंकर जी मिल गए और गरुड़ ने पूछा कि मुझे बताइए मुझे राम की शक्ति पर भ्रम क्यों हो रहा है।

शिव जी ने कहा कि तुम मुझे रास्ते में मिले हो- मिलेहु गरुड़ मारग महं मोही, कवन भांति समुझावौं तोही। तो राह चलते मैं तुम्हें किस प्रकार समझाऊं? संदेहों का नाश तो तभी होता है, जब दीर्घकाल तक सत्संग किया जाए। जो बात शंकर ने गरुड़ को बोली है, वह हमारे भी समझने की है।

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