वॉशिंगटन डीसी1 मिनट पहले
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तस्वीर पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ (बाएं) और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश की है। (फाइल फोटो)
अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के पूर्व अफसर जॉन किरियाकू ने दावा किया है कि पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने देश के परमाणु हथियारों का नियंत्रण अमेरिका को सौंप दिया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने मुशर्रफ को लाखों डॉलर की मदद के जरिए खरीद लिया था।
किरियाकू ने बताया कि मुशर्रफ के शासनकाल में अमेरिका को पाकिस्तान की सुरक्षा और सैन्य गतिविधियों तक लगभग पूरी पहुंच थी। उन्होंने कहा,
हमने लाखों डॉलर की सैन्य और आर्थिक मदद दी। बदले में मुशर्रफ ने हमें सब कुछ करने दिया।

किरियाकू ने यह बयान न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में दिया। उन्होंने यह भी कहा कि मुशर्रफ ने दोहरे खेल खेले, एक तरफ अमेरिका के साथ दिखावा किया और दूसरी ओर पाकिस्तान की सेना और चरमपंथियों को भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियां जारी रखने दिया।
‘2002 में भारत-पाकिस्तान युद्ध होने वाला था’
किरियाकू ने कहा है कि 2002 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार पर थे। उन्होंने बताया, “परिवार के सदस्य इस्लामाबाद से निकाल लिए गए थे। हमें लगा कि भारत और पाकिस्तान युद्ध में उतर सकते हैं।”
उन्होंने 2001 में संसद हमले के बाद शुरू हुए ऑपरेशन पराक्रम का जिक्र किया। “अमेरिकी उप विदेश सचिव दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच लगातार यात्रा कर समझौता करवाया, जिससे दोनों पक्ष पीछे हट गए। लेकिन हम अल-कायदा और अफगानिस्तान में इतने व्यस्त थे कि भारत के बारे में ज्यादा सोचा ही नहीं।”
उन्होंने 2008 मुंबई हमलों पर कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह अल-कायदा था। मुझे लगता है कि यह पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी समूह थे। और ऐसा ही साबित हुआ। असली कहानी यह थी कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद कर रहा था और किसी ने कुछ नहीं किया।”
किरिआकू ने भारत की संयमित प्रतिक्रिया की भी तारीफ की। “भारत ने संसद और मुंबई हमलों के बाद संयम दिखाया।
PAK परमाणु वैज्ञानिक को सऊदी ने बचाया
पूर्व CIA अधिकारी ने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान के परमाणु वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को अमेरिकी कार्रवाई से बचाने में सऊदी अरब का अहम रोल था। सऊदी ने अमेरिका को कहा कि खान को न छेड़ा जाए, जिससे अमेरिका ने अपने प्लान को छोड़ दिया।
किरियाकू ने अमेरिकी विदेश नीति पर भी सवाल उठाया और कहा कि अमेरिका लोकतंत्र का ढोंग करता है, लेकिन वास्तव में अपने स्वार्थ के अनुसार काम करता है। उन्होंने यह भी बताया कि सऊदी और अमेरिका का रिश्ता पूरी तरह लेन-देन पर आधारित है, अमेरिका तेल खरीदता है और सऊदी हथियार।
किरियाकू ने कहा कि वैश्विक ताकतों का संतुलन बदल रहा है और सऊदी अरब, चीन और भारत अपनी रणनीतिक भूमिका को नया आकार दे रहे हैं।



