अपने दौरे के बीच पीएम मोदी ने पद्म विभूषण पंडवानी गायिका तीजनबाई का कुशलक्षेम जानने के लिए फोन किया। सुबह करीब साढ़े 9 बजे तीजन की बहू रेणु देशमुख के फोन पर अज्ञात नंबर से कॉल आया। आवाज आई मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सचिव बोल रहा हूं, प्रधानमंत
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बिस्तर पर लेटीं तीजनबाई से रेणु ने बताया कि स्वयं प्रधानमंत्री मोदी उनका हाल पूछ रहे हैं। फिर आवाज आई- नमस्ते रेणु जी, मैं नरेंद्र मोदी बोल रहा हूं… तीजन बाई जी कैसी हैं? रेणु ने कहा कि अम्मा को पैरालिसिस है। सालभर से बिस्तर पर हैं। धीरे-धीरे कमजोरी बढ़ रही है।
खाना भी नहीं खा पा रहीं। खिचड़ी को सूप की तरह बनाकर दे रहे हैं। यह सुनते ही प्रधानमंत्री के मुख से सहज करुणा झलकी अरे बाप रे…! कुछ पल के मौन के बाद उन्होंने स्नेह भरे स्वर में कहा कि आप लोग उनका अच्छे से ध्यान रखिए। मैं रायपुर आया था, उनसे मिलने की बहुत इच्छा थी, लेकिन समयाभाव के कारण संभव नहीं हो पाया। मेरी ओर से उन्हें प्रणाम कहना। 1 मिनट 18 सेकंड हुई इस बातचीत में पीएम ने कहा कि कोई भी जरूरत हो, निसंकोच बताना।
कल से एम्स में होगा तीजन का इलाज प्रधानमंत्री की संवेदना के लगभग डेढ़ घंटे बाद कलेक्टर अभिजीत सिंह अपनी पत्नी के साथ तीजन बाई के घर गनियारी पहुंचे। उन्होंने ससम्मान उनका हालचाल जाना। कलेक्टर की पत्नी ने उन्हें शॉल, श्रीफल और स्नेह राशि भेंट की। साथ में सीएमएचओ डॉ. मनोज दानी और निगम आयुक्त दशरथ सिंह राजपूत भी मौजूद रहे। कलेक्टर ने बताया कि सोमवार को तीजन बाई को एम्स रायपुर ले जाया जाएगा ताकि उनका समुचित इलाज हो सके।
विनोद कुमार शुक्ल से कहा- कुछ जरूरत हो तो बताइएगा, वे बोले- अस्पताल से घर जाना चाहता हूं
साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल के बेटे शाश्वत गोपाल ने बताया की प्रधानमंत्री ने सुबह करीब साढ़े 9 बजे पिताजी को फोन किया था। पीएम ने सीधे पिताजी से बात कर उनकी तबीयत की जानकारी ली। उन्होंने एक से डेढ़ मिनट तक फोन पर बात की।
इस दौरान पीएम ने शुक्ल से पूछा-आपका स्वास्थ्य कैसा है? उन्होंने बताया कि पहले से ठीक महसूस कर रहा हूं। फिर पीएम ने कहा- आप क्या चाहते हैं, तब उन्होंने कहा कि बस घर जाना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, क्योंकि लिखना मेरे लिए सांस की तरह है।
मोदी ने कहा कि इलाज के लिए कुछ जरूरत हो तो बताइएगा? विनोद कुमार शुक्ल ने कहा-जी जरूर। हिंदी के शीर्ष कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल को इसी साल ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बता दें कि 1 जनवरी 1937 को राजनांदगांव में जन्मे विनोद कुमार शुक्ल पिछले 50 साल से लेखन कर रहे हैं। वरिष्ठ साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल भी सांस की तकलीफ के कारण एक निजी हॉस्पिटल में एडमिट हैं और उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है।
शुक्ल के उपन्यास पर बन चुकी है फिल्म
छत्तीसगढ़ से किसी साहित्यकार को पहली बार यह पुरस्कार मिला है। वे पिछले 50 साल से लेखन कर रहे हैं। उनकी पहली कविता संग्रह ‘लगभग जय हिंद’ 1971 में प्रकाशित हुई थी। उनका कहानी संग्रह पेड़ पर कमरा और महाविद्यालय भी बेहद चर्चित है। उपन्यास नौकर की कमीज, खिलेगा तो देखेंगे, दीवार में एक खिड़की रहती थी हिंदी के श्रेष्ठ उपन्यासों में शामिल हैं। उनके उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर फिल्मकार मणिकौल ने एक फिल्म भी बनाई थी।



