स्कॉटहोम16 मिनट पहले
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भौतिकी, साहित्य और शांति सहित कई क्षेत्रों में दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कारों की घोषणा सोमवार, 6 अक्टूबर से शुरू होगी और 13 अक्टूबर तक जारी रहेगी।
सबसे पहले मेडिसिन के पुरस्कार की घोषणा होगी। यह पुरस्कार उन वैज्ञानिकों को दिया जाता है जिन्होंने चिकित्सा या मानव स्वास्थ्य में बड़ी खोज की हो।
अवॉर्ड का ऐलान स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट से दोपहर करीब 3:00 बजे होगा। विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (लगभग 9 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे।
कैसे होगा ऐलान?
- स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट की नोबेल कमेटी विजेताओं को चुनेगी। कमेटी के 5 सदस्य हजारों नामांकनों की जांच करेंगे।
- कमेटी के सेक्रेटरी थॉमस पर्लमैन विजेताओं को फोन करेंगे और फिर ऐलान होगा।
- इसे nobelprize.org की वेबसाइट, यूट्यूब या सोशल मीडिया पर लाइव देखा जा सकेगा।

कोई आधिकारिक नाम नहीं बताया गया
अभी तक कोई इस पुरस्कार के लिए किसे नॉमिनेट किया गया या मेडिसिन के किस सेक्टर में दिया जाएगा, इसका आधिकारिक नाम नहीं बताया गया। हालांकि मनी फोल्ड वेबसाइट के मुताबिक, इस साल 5 सेक्टर में अवॉर्ड मिलने की संभावना सबसे ज्यादा है।
- GLP-1 दवाएं- डायबिटीज और मोटापे के लिए नई दवाएं।
- ऑप्टोजेनेटिक्स- लाइट का इस्तेमाल करके नर्व सेल्स की एक्टिविटी को कंट्रोल और समझा जाता है।
- माइक्रोस्कोपी- माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करके छोटी वस्तुओं या कोशिकाओं की तस्वीरें ली जाती हैं।
- BRCA- वे जीन हैं जो स्तन और ओवरी कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं।
- कैंसर इम्युनोथैरेपी- कैंसर से लड़ने की नई दवाएं।
यह पुरस्कार उन खोजों को सम्मानित करता है जो इंसानों की जिंदगी बेहतर बनाती हैं, जैसे वैक्सीन या नई दवाएं। पिछले साल (2024) माइक्रोRNA की खोज को पुरस्कार मिला था, जो जीन को कंट्रोल करने से जुड़ा था।
नोबेल पुरस्कार 2025 शेड्यूल
फिजियोलॉजी या मेडिसिन: सोमवार, 6 अक्टूबर
फिजिक्स: मंगलवार, 7 अक्टूबर
लिटरेचर: गुरुवार, 9 अक्टूबर
पीस: शुक्रवार, 10 अक्टूबर
इकोनॉमी: सोमवार, 13 अक्टूबर

माइक्रो RNA की खोज के लिए मिला 2024 का मेडिसिन नोबेल प्राइज
2024 के मेडिसिन का नोबेल प्राइज विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को मिला था। उन्हें ये प्राइज माइक्रो RNA (राइबोन्यूक्लिक एसिड) की खोज के लिए दिया गया था।
माइक्रो RNA से पता चलता है कि शरीर में कोशिकाएं कैसे बनती और काम करती हैं। दोनों जीन वैज्ञानिकों ने 1993 में माइक्रो RNA की खोज की थी। इंसान का जीन DNA और RNA से बना होता है। माइक्रो RNA मूल RNA का हिस्सा होता है।
ये पिछले 50 करोड़ सालों से बहुकोशिकीय जीवों के जीनोम में विकसित हुआ है। अब तक इंसानों में अलग-अलग तरह के माइक्रो RNA के एक हजार से ज्यादा जीन की खोज हो चुकी है।
1895 में हुई थी नोबेल पुरस्कार की स्थापना
नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी और पुरस्कार 1901 में मिला। 1901 से 2024 तक मेडिसिन की फील्ड में 229 लोगों को इससे सम्मानित किया जा चुका है।
इन पुरस्कारों को वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिया जाता है। शुरुआत में केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही नोबेल दिया जाता था। बाद में इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में भी नोबेल दिया जाने लगा।
नोबेल प्राइज वेबसाइट के मुताबिक उनकी ओर से किसी भी फील्ड में नोबेल के लिए नॉमिनेट होने वाले लोगों के नाम अगले 50 साल तक उजागर नहीं किए जाते हैं।
भारतीय मूल के हरगोविंद खुराना मेडिसिन का नोबेल मिल चुका है
मेडिसिन के क्षेत्र में भारतीय मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना को नोबेल मिल चुका है । उन्हें 1968 में यह सम्मान मिला था। उन्होंने जेनेटिक कोड से जुड़ी खोज की थी, जो यह बताती है कि हमारे शरीर में प्रोटीन कैसे बनते हैं। इस खोज ने चिकित्सा की दुनिया को बदल दिया और कैंसर, दवाओं और जेनेटिक इंजीनियरिंग में मदद की।
उनकी खोज ने समझाया कि डीएनए कैसे प्रोटीन बनाता है, जो शरीर के लिए जरूरी है। इसने नई दवाएं और बीमारियों के इलाज का रास्ता खोला। भारत से जुड़े 12 लोग नोबेल जीत चुके हैं, लेकिन मेडिसिन में सिर्फ खुराना को यह अवॉर्ड मिला है।
