राजधानी में गिरने वाला भवन एकमात्र नहीं है, ऐसे सैकड़ों जर्जन भवन हैं, जो कभी भी गिर सकते हैं। हेरिटेज में निगम ने मात्र 179 जर्जर इमारतें चिह्नित की हैं, जबकि हकीकत में 1,783 हैं। इनमें एक भवन में 5 से 10 परिवार रहते हैं। वहीं 5 से 8 हजार रुपए तक कि
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किराए के लालच में मकान मालिक जर्जर भवन को नहीं गिरा रहे हैं। वहीं मरम्मत भी नहीं कराते हैं। लगातार बारिश के बीच परकोटे में जर्जर इमारतें किरायेदारों के लिए मौत का सौदा बन गई हैं। मकान मालिक खुद सुरक्षित जगह शिफ्ट हो चुके हैं, लेकिन जर्जर मकानों को किराए पर देकर गरीब परिवारों की जान खतरे में डाल रहे हैं। वहीं नगर निगम और हेरिटेज निगम कागजी कार्रवाई और नोटिस-नोटिस खेल रहे हैं।
दरवाजे की मरम्मत के लिए एक साल पहले हेरिटेज नगर निगम और पुरातात्विक विभाग को लिखित में शिकायत दी थी, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन हादसे के बाद ही सुनवाई करेगा।
निगम द्वारा चिह्नित जर्जर भवन
- निगम ने जर्जर इमारतें चिह्नित की 179
- मकान तोड़े 3
- अब जर्जर भवन 176 बचे
- किशनपोल जोन में 79
- हवामहल-आमेर जोन में 40
- सिविल लाइंस में 24
- आदर्श नगर में 35
- शुक्रवार रात हुआ हादसा भी किशनपोल जोन का ही था।