इजराइली एयरस्ट्राइक में हूती लड़ाकों के प्रधानमंत्री की मौत:  रक्षा मंत्री के भी मारे जाने की आशंका; हमले में 10 की मौत, 90 घायल

इजराइली एयरस्ट्राइक में हूती लड़ाकों के प्रधानमंत्री की मौत: रक्षा मंत्री के भी मारे जाने की आशंका; हमले में 10 की मौत, 90 घायल


सना1 घंटे पहले

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यमन की राजधानी सना पर इजराइली हवाई हमलों में हूती प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की मौत हो गई।

यमन की राजधानी सना में इजरायली एयरस्ट्राइक में हूती लड़ाकों के प्रधानमंत्री अहमद अल-रहावी की मौत हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन हमलों में हूती रक्षा मंत्री मोहम्मद अल-अती और चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद अब्द अल-करीम अल-घमारी को भी निशाना बनाया गया, जिनके मारे जाने की आशंका है।

इजराइली आर्मी (IDF) ने 28 अगस्त को सना में हमले किए थे। इससे पहले हूती लड़ाकों ने इजराइल पर मिसाइल और ड्रोन से हमला किया था। IDF ने कहा कि एयरस्ट्राइक में हूती मिलिट्री ठिकानों और राष्ट्रपति भवन को निशाना बनाया गया। वहीं, यमन के अधिकारियों के मुताबिक, इन हमलों में कम से कम 10 लोग मारे गए और 90 घायल हुए।

इजराइली रक्षा मंत्री बोले- बुरे काम का बुरा अंजाम

इजराइल के विदेश मंत्री ने कहा कि हमने चेतावनी दी थी कि जो भी इजराइल के खिलाफ हथियार उठाएगा, उसे सजा मिलेगी। उन्होंने कहा- हमने हूतियों को पहले चेताया था कि बुरे काम का बुरा अंजाम होगा।

एक इजराइली सैन्य अधिकारी ने मीडिया को बताया- हमने सही समय पर सटीक जानकारी के आधार पर तेजी से हमला किया। इन हमलों में हूती विद्रोहियों के कई बड़े नेताओं को निशाना बनाया गया।

गुरुवार को यमन की राजधानी सना में हूती लड़ाकों ने फिलिस्तीन के सपोर्ट में मार्च निकाला।

गुरुवार को यमन की राजधानी सना में हूती लड़ाकों ने फिलिस्तीन के सपोर्ट में मार्च निकाला।

कौन हैं हूती विद्रोही

  • साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडिल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
  • इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।
  • अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सऊदी अरब भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सऊदी अरब का।
  • देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।
  • ईरान से मिल रहे समर्थन की बदौलत हूती विद्रोही एक ट्रेंड लड़ाका दल में बदल चुके हैं। हूती विद्रोहियों के पास आधुनिक हथियार और यहां तक कि अपने हेलिकॉप्टर भी हैं।
हूती लड़ाकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं है, हालांकि ये यमन के अपने कब्जे इलाके में सरकार चलाते हैं।

हूती लड़ाकों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं है, हालांकि ये यमन के अपने कब्जे इलाके में सरकार चलाते हैं।

हूती विद्रोहियों के इजराइल पर 250 से ज्यादा हमले

हूती विद्रोहियों ने अक्टूबर 2023 से मई 2025 तक इजराइल पर करीब 250 से ज्यादा हमले किए हैं। ये हमले बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन से हुए हैं। ज्यादातर हमलों को इजराइल ने रोक दिया है। ऐसा दावा किया जाता है कि हूती विद्रोहियों को ये हथियार ईरान ने दिए हैं।

हूती विद्रोहियों ने समुद्र में इजराइल और उससे जुड़े जहाजों पर 100 से ज्यादा हमले किए। इससे वैश्विक व्यापार पर असर पड़ा है। इजराइल, हमास और हिजबुल्लाह की तुलना में हूती विद्रोहियों पर सख्ती बरतने से परहेज करता रहा है। हालांकि इस बार उसने उसकी टॉप लीडरशिप को निशाना बनाया।

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