राजस्थान के IAS-IPS के लिए ‘दूर हुई दिल्ली’:  ब्यूरोक्रेट्स को सेंट्रल डेपुटेशन पर भेजने पर सरकार सख्त, जानिए 3 वजह – Rajasthan News

राजस्थान के IAS-IPS के लिए ‘दूर हुई दिल्ली’: ब्यूरोक्रेट्स को सेंट्रल डेपुटेशन पर भेजने पर सरकार सख्त, जानिए 3 वजह – Rajasthan News


राजस्थान के IAS-IPS और IFS अफसरों का अब डेपुटेशन पर दिल्ली जाना मुश्किल हो जाएगा। सरकार ब्यूरोक्रेट्स को सेंट्रल डेपुटेशन पर भेजने पर सख्त हो गई है।

.

पिछले महीने कार्मिक विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी केके पाठक ने दिल्ली डेपुटेशन पर जाने की अनुमति मांगी थी। पहले सरकार ने हरी झंडी दिखाई, फिर मना कर दिया।

पाठक के अलावा भी कई अफसर दिल्ली जाना चाहते हैं, लेकिन राज्य सरकार के रुख को देख आवेदन ही नहीं कर रहे। इनमें ज्यादातर ऐसे अफसर शामिल है, जो प्राइम पोस्टिंग पर नहीं है।

पिछले 6 महीने के भीतर एक दर्जन से ज्यादा राजस्थान कैडर के IAS-IPS और IFS अधिकारी डेपुटेशन पर चले गए।अफसरों की कमी ही डेपुटेशन पर सरकार के सख्त रुख का कारण मानी जा रही है।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

वो कारण जिनकी वजह से केंद्र में तैनाती चाहते हैं अफसर

  • प्राइम पोस्टिंग न मिलना : एक्सपट्‌र्स का मानना है कि कई अफसर जिन्हें राज्य में प्राइम पोस्टिंग नहीं मिलती या साइड लाइन रहते हैं, वे भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा जताते हैं। राजस्थान में सत्ता परिवर्तन होने पर वसुंधरा राजे सरकार में प्राइम पोस्ट पर रहे अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे।
  • कॅरियर के लिहाज से अहम : केंद्रीय प्रतिनियुक्ति अधिकारी के करियर के लिए भी अहम मानी जाती है। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर ऐसी फोर्स या यूनिट में काम करने का मौका मिलता है, जो राज्यों से अलग होती हैं। पूरे देश में काम करती है। इससे न सिर्फ एक्सपोजर मिलता है, बल्कि राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किस तरह काम किया जा रहा, यह सीखने का मौका भी मिलता है।
  • गृह राज्य या नजदीक तैनाती : कई बार अफसर अपने गृह राज्य के नजदीक तैनाती के लिए भी प्रतिनियुक्ति पर जाते हैं। इसके अलावा कई बार वे अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की इच्छा जताते हैं, जिनका पति या पत्नी केंद्र में पोस्टेड हो।

ये ब्यूरोक्रेट्स सेंट्रल डेपुटेशन पर

  • IAS : वी. श्रीनिवास, रजत कुमार मिश्र, तन्मय कुमार, नरेश पाल गंगवार, रोली सिंह, राजीव सिंह ठाकुर, रोहित कुमार, मुग्धा सिन्हा, आशुतोष एटी पेडणेकर, प्रीतम बी यशवंत, भानुप्रकाश एटरू, सिद्धार्थ महाजन, पीसी किशन, गौरव गोयल. बिष्णु चरण मल्लिक. मुक्तानंद अग्रवाल, प्रकाश राजपुरोहित, इंद्रजीत सिंह, अभिमन्यु कुमार, भगवती प्रसाद कलाल, आशीष गुप्ता और अंशदीप। इनके अलावा अतर आमिर उल शफी खान इंटर स्टेट डेपुटेशन पर हैं।
  • IPS : राजेश निर्वाण, राजेश आर्य, बिनिता ठाकुर, आलोक कुमार वशिष्ठ, सत्यप्रिया सिंह, उमेशचंद्र दत्ता, नवज्योति गोगोई, जोश मोहन, नितिन दीप ब्लगन, सी. संतोष कुमार तुकाराम, केबी वंदना, डान के जोश, ममता राहुल, अंशदीप सिंह कपूर, राहुल मनहर्दन बारहठ, सत्येंद्र कुमार, लवली कटियार, विकास पाठक, राहुल जैन, प्रीति जैन, गगनदीप सिंघला, आर, विनीत कुमार टी. पूजा अवाना, किरण कंग सिद्ददू और दीपक यादव।
  • IFS : 12 आईएफएस डेपुटेशन पर है। गोबिंद सागर भारद्वाज, आनंद मोहन,बी. प्रवीण, प्रिय रंजन,आकांक्षा महाजन, हरिणी वी.शशि शंकर, के. बालाजी, विक्रम केसरी प्रधान,एस. शरत बाबू, हेमंत सिंह और रंगास्वामी ई.।

क्यों डेपुटेशन पर जाने से रोक रही सरकार

  • अफसरों की कमी : तर्क दिया जा रहा है कि प्रदेश में आईएएस अफसरों की कमी को ध्यान में रखकर ही केके पाठक को अनुमति नहीं दी गई है। राज्य सरकार नहीं चाहती है कि अफसरों की कमी से योजनाओं के क्रियान्वयन का काम प्रभावित हो। अफसरों की कमी से सरकार का कामकाज प्रभावित हो रहा है। केंद्र सरकार ने कैडर रिव्यू में 52 की मांग पर केवल 19 पद दिए, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
  • अफसरों पर अन्य विभागों का बोझ : मुख्य सचिव सुधांशु पंत समेत कई अफसरों पर कई विभागों का अतिरिक्त कार्यभार है। कार्मिक विभाग के अनुसार 45 आईएएस अफसरों के पास अतिरिक्त प्रभार है। पंचायती राज जैसे विभाग को भी पूर्णकालिक आईएएस नहीं मिल पा रहा है। करीब एक साल से सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव जोगाराम के पास प्रभार है।
  • केंद्र के पास पर्याप्त अफसर : जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार के पास पर्याप्त संख्या में अफसर है। ऐसे में सरकार की मंशा है कि अफसर अपने मूल कैडर में ही काम करें। वहीं दूसरी वजह यह भी है कि इस साल ब्यूरोक्रेसी से कुल 33 बड़े अफसर सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इनमें से कुछ रिटायर भी हो गए हैं। ऐसे में सेंट्रल डेपुटेशन से यह कमी और बढ़ सकती है।

सेंट्रल डेपुटेशन के क्या है नियम

सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम के तहत हर साल 1 से 15 जनवरी के बीच जो अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए इच्छुक होता है, उसे केंद्र सरकार को इच्छा बतानी पड़ती है। जैसे-जैसे स्थान रिक्त होता है, वैसे-वैसे उन्हें तैनाती दी जाती है। तैनाती देने से पहले राज्य सरकार की अनापत्ति (NOC) जरूरी होती है। इसके अलावा किसी फोर्स का डीजी या सीबीआई डायरेक्टर, एनआईए डायरेक्टर, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो डायरेक्टर या किसी मंत्रालय में कोई मंत्री किसी अधिकारी को अपने साथ रखना चाहता है तो उस अफसर को वह राज्य सरकार की एनओसी मिलने के बाद अपने यहां तैनाती दे सकता है।

कैसे होती है केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति?

एक्सपर्ट कहना है कि आईएएस अधिकारी को नियुक्ति पर किसी राज्य का कैडर आवंटित किया जाता है। राज्य में 9 साल काम करने के बाद केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति संभव होती है।

इसके बाद ही केंद्र में प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं। अधिकतम 5 साल वो केंद्र सरकार में काम कर सकते हैं। वहीं कुछ मामलों में 2 साल का विस्तार मिल सकता है। फिर राज्य कैडर में वापस जाना पड़ता है।

एक्सपर्ट नारायण बारेठ का कहना है कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को राज्य सरकार डेपुटेशन पर भेजने से मना नहीं कर सकती है।

केंद्र सरकार जिस भी अफसर को डेपुटेशन पर चाहती है वह अपने संबंधित कैडर से ‘रिलीव हो जाएगा’, भले ही संबंधित राज्य सरकार इससे असहमत हो या फिर निर्धारित समय सीमा में इस पर अपनी सहमति न दें।



Source link

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)

Related Post

आज का मौषम
Live Cricket
आज का राशिफल
लाइव शेयर मार्केट