यह दर्द है सागर के वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के जंगल से विस्थापित हुए खापा, मुहली गांव के परिवारों का। विस्थापित परिवाराें का आरोप है कि विस्थापन में मिली मुआवजा की राशि बैंक खातों से गायब हो गई है। उनसे एफडी बनवाने का बोलकर बीमा पॉलिसी करा दी
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- मुआवजे के 12 लाख में से 7 लाख गायब हो गए। अनपढ़ हूं, सब लुट गया। बेटियों का क्या होगा, कोई सहारा नहीं है। -प्रेमसिंह आदिवासी
- विस्थापित होकर बर्बाद हो गए। मुआवजे के पैसे बेटियों की शादी के लिए रखे थे, वो भी चले गए। अब कैसे शादी करेंगे? -नर्मदाबाई
धोखाधड़ी का शिकार हुए विस्थापित परिवारों के बीच भास्कर टीम पहुंची और उनसे बातचीत की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व से 44 गांवों के लोगों विस्थापित किया गया है।
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व: 93 गांव हटाए, 44 गांव विस्थापित
वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व से जंगल के बीच बने गांवों को विस्थापित किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में, टाइगर रिजर्व क्षेत्र के 93 गांवों को हटाया जाना है, जिनमें से अब तक 44 गांवों को विस्थापित किया जा चुका है, जिनमें ग्राम खापा और मुहली भी शामिल हैं। यह विस्थापन वर्ष 2014 से चल रहा है। पहले, प्रति यूनिट 10 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता था, लेकिन वर्तमान में यह राशि बढ़ाकर 15 लाख रुपए प्रति यूनिट कर दी गई है।
विस्थापन के संबंध में, एचडीएफसी बैंक शाखा रहली में बैंक खाते खुलवाए गए थे। हाल ही में, इन बैंक खातों में मुआवजे की राशि जमा की गई थी। आरोप है कि राशि जमा होने के बाद, बैंक कर्मचारियों ने विस्थापितों की अनुमति के बिना बीमा पॉलिसी कर दी और खाली चेक के माध्यम से पैसे निकाल लिए। अब विस्थापित परेशान हैं और अपने पैसे वापस पाने की मांग कर रहे हैं।
बेटी की शादी तो किसी ने मकान-जमीन खरीदने जमा किए थे रुपए विस्थापन के दौरान पीड़ित अपना सबकुछ छोड़कर गांव से निकल आए। कोई गढ़ाकोटा में तो कोई मुर्गा दरारिया व अन्य गांवों में झोपड़ी बनाकर रहने लगा। विस्थापित होने पर मिली मुआवजा राशि बैंक खाते में पहुंची। जिसे पीड़िता ने सुरक्षित मानते हुए बैंक खातों में रखा। इनमें किसी को अपनी बेटियों की शादी करना थी तो किसी को जमीन और मकान खरीदना था। लेकिन जब उन्हें इन पैसों की जरूरत पड़ी और बैंक रुपए निकालने पहुंचे तो कुछ नहीं मिला। पता चला कि बैंक खाते में रुपए नहीं है। खातों से रुपए गायब होने पर विस्थापित खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।

बैंक से रुपए निकाले जाने पर शिकायत के लिए पहुंचे ग्रामीण।
अब पढ़िए विस्थापित परिवारों का दर्द…
विस्थापित हुए राजकुमार वासुदेव का कहना है कि बैंक के कर्मचारी राहुल सर ने मुझसे दो खाली चेक लिए थे। दोनों पर हस्ताक्षर कराए थे। एक चेक से मुझे 20 हजार रुपए निकालकर दे दिए थे। लेकिन दूसरा चेक अपने पास रख लिया। उक्त चेक के माध्यम से गढ़ाकोटा से 50 हजार रुपए खाते से निकाले गए है। मैं बैंक पहुंचा तो पैसे निकलने की बात सामने आई। उन्होंने कहा कि आपने गढ़ाकोटा से पैसे निकाले हैं।
वासुदेव का कहना है कि मैं अनपढ़ हूं और गढ़ाकोटा बैंक कभी नहीं गया। अब राहुल सर बाहर चले गए हैं। बैंक वाले आज-कल बोलकर एक महीने से घुमा रहे हैं। राजकुमार ने कहा कि मेरी बीमा पॉलिसी भी बना दी। बोला था कि 5 साल में एक लाख रुपए के दो लाख मिलेंगे। लेकिन अब बार-बार फोन आ रहे हैं कि हर साल 60 हजार रुपए जमा करना है। लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं, कहां से भरूं।

प्रेमसिंह बोले-12 लाख में से 7 लाख रुपए निकल गए
पीड़ित प्रेमसिंह आदिवासी का कहना है कि विस्थापित होने पर मुआवजा के रूप में पैसे मिले थे। रहली एचडीएफसी बैंक शाखा में खुले खाते में कुल 12 लाख रुपए जमा थे। जिसमें से 7 लाख रुपए निकल गए हैं। जो जमा है वो भी नहीं मिल रहे। मुझे संदेह है कि बैंक के कर्मचारियों ने खातों से पैसे निकाले हैं।
प्रेमसिंह ने बताया कि उन्होंने बैंक पहुंचकर 2000 रुपए निकाले तो उन्होंने जीरो बढ़ाकर 2 लाख रुपए निकाल लिए। हमें 2 हजार दे दिए और शेष अपने पास रख लिए हैं। खाते में पैसे जमीन खरीदने के लिए रखे थे। विस्थापन के बाद जंगल में पॉलीथिन से पटरी बनाकर परिवार के साथ रह रहा हूं। पढ़ा-लिखा नहीं हूं। हमारे पास कुछ नहीं बचा है। मुआवजा में मिले पैसों के भरोसे था। लेकिन अब वह भी निकल गए। तीन बेटियां हैं। एक बेटा था जो खत्म हो गया। मेरा कोई सहारा नहीं है।

एफडी बनवाई थी, उन्हाेंने बीमा पॉलिसी कर दी
अशोकरानी वासुदेव का कहना है कि बैंक में एफडी बनवाई थी। लेकिन उन्होंने डेढ लाख रुपए की बीमा पॉलिसी बना दी। पति कमलेश वासुदेव बीमार हैं। पैसों की जरूरत पड़ी तो बैंक पहुंचे और पैसे निकालने का बोला। लेकिन पैसे नहीं निकले। वह कह रहे हैं कि बीमा पॉलिसी 5 साल की है। अभी नहीं टूटेगी। जबकि हमने बीमा पॉलिसी बनवाई ही नहीं। एफडी का बोला था। पैसा नहीं मिलने से पति का इलाज नहीं करा पा रहे हैं। पूरा परिवार परेशान है।

द्रौपती का आरोप-14 लाख जमा थे, अब खाली है
द्रौपती गौंड का कहना है कि उनके बैंक खाते में 14 लाख रुपए जमा थे। उन्होंने ब्याज की राशि निकाली है। शेष 14 लाख रुपए जमा थे। लेकिन बैंक आए तो पता चला कि खाता खाली है। पैसे निकल गए हैं। बैंक कर्मचारी नितिन से बात की तो उन्होंने बीमा पॉलिसी करने की बात कही। लेकिन मैंने बीमा पॉलिसी बनवाने के लिए कभी बोला नहीं। उन्होंने अपनी मर्जी से बना दी। अब पैसों के लिए परेशान हो रहे हैं।”
एसडीएम बोले-शिकायत मिली है, टीम कर रही है जांच
रहली एसडीएम कुलदीप पाराशर का कहना है कि मामले की शिकायत मिली है। बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों से बात की है। साथ ही टीम गठित कर जांच कराई जा रही है। टीम खातेदारों से दस्तावेज लेकर जांच कर रही है। खातों में जमा राशि किन परिस्थितियों में और कैसे निकाली गई, बीमा पॉलिसी व एफडी बनाने के संबंध में क्या लोगों को बताया था? इन सभी बिंदुओं पर जांच की जा रही है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

रहली पुलिस थाना और एसडीएम कार्यालय।
एचडीएफसी कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन अफसर बोले-जानकारी नहीं है
मामले में रहली एचडीएफसी बैंक शाखा के मैनेजर विवेक दुबे से बात कि गई तो उन्होंने इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मीडिया से बात कॉर्पोरेट कम्युनिकेशन ऋषिकेश करते हैं और उनका नंबर दिया। लेकिन जब उक्त नंबर पर बात कि तो उन्होंने कहा कि मुझे इस मामले में जानकारी नहीं है। लेकर बात करता हूं।