2 घंटे पहलेलेखक: इंद्रेश गुप्ता
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टीवी शो ‘घर एक मंदिर’ से दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाने वालीं श्रेनु पारिख जल्द ही सोनी सब के नए पौराणिक शो ‘गणेश कार्तिकेय’ में माता पार्वती की भूमिका निभा रही हैं। यह शो 6 अक्टूबर से प्रसारित होगा। इस दौरान श्रेनु पारिख ने दैनिक भास्कर से बातचीत की।
शादी के बाद आपने ब्रेक लिया था। फिर इस शो से कब और कैसे जुड़ीं?
मैं शादी के बाद ब्रेक पर थी। करीब डेढ़-दो साल हुए थे और तभी सोचा कि अब काम शुरू करना चाहिए। तभी मुझे इस शो से कॉल आया। पहले भी कॉल आया था लेकिन लगा शायद कास्टिंग हो चुकी होगी। इस बार ऑडिशन दिया और बिना ज्यादा रिसर्च किए तुरंत सेलेक्ट हो गई। उसके बाद टीम के साथ कई वर्कशॉप हुए। मुझे साफ कहा गया कि पहले से बनी पार्वती मां की इमेज न देखें, बस अपने अंदाज में निभाएं। मैंने उसमें एक ह्यूमन टच देने की कोशिश की है ताकि दर्शकों को देवी के साथ-साथ मां का रूप भी दिखे।

जब आपने गेटअप लिया तो सेट पर माहौल कैसा रहा?
बहुत बार ऐसा हुआ कि सब लोग मुझे देखकर चुप हो गए, जैसे कोई दिव्य आभा महसूस कर रहे हों। एक बार जब मैं काली मां बनी थी तो पूरा सेट सन्न रह गया था। मेरा डॉगी, जो हमेशा मेरे पास रहता है, मुझे पहचान ही नहीं पाया। गेटअप का असर इतना गहरा था कि वो भावनात्मक रूप से थका देने वाला भी हो जाता था। खासकर गणेश जी का सिर कटने वाला सीक्वेंस वो मेरे लिए बहुत इमोशनल था।
शो में दर्शक आपको किन-किन रूपों में देखेंगे?
पार्वती मां के बहुत सारे रूप हैं। पहले 10 एपिसोड्स में ही आप मेरी 10 महाविद्याएं देखेंगे। काली का पूरा सीक्वेंस है, जहां वो भयानक युद्ध करती हैं। ये सब रूप एकदम अलग-अलग अनुभव देंगे।
आपने किरदार के लिए कोई अलग तैयारी या रिसर्च की?
नहीं, क्योंकि भगवानों पर बनी कहानियों को बदला नहीं जा सकता। इनसे लोगों की भावनाएं जुड़ी होती हैं। बस हमने कहानी को नए अंदाज, टेक्नोलॉजी और नए कलाकारों के साथ प्रस्तुत किया है। मेकर्स ने और राइटर्स की टीम ने जो मटेरियल दिया उसी के आधार पर इसे प्ले कर रही हूं।
देवी का किरदार निभाने में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही?
सबसे कठिन यह रहा कि हर वक्त एक दिव्य आभा के साथ रहना पड़े। कॉस्ट्यूम और ज्वेलरी बहुत भारी होते हैं। साथ ही शुद्ध हिंदी बोलना और हर समय ‘देवी’ लगना आसान नहीं है लेकिन अब धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़ गया है और मैं पार्वती मां को समझने लगी हूं।

टीवी, फिल्म और वेब के बीच आप खुद को कहां देखती हैं?
कोविड के बाद मीडिया की दीवारें थोड़ी टूट गई हैं। अब टीवी के कलाकार फिल्में और वेब सीरीज़ कर सकते हैं। मेरे लिए टीवी हमेशा दिल के करीब रहेगा, क्योंकि यहीं से शुरुआत हुई। मैं फिल्मों और बाकी प्रोजेक्ट्स भी करना चाहती हूं, लेकिन टीवी मेरा घर है।
अक्षय महात्रे के साथ आपकी जोड़ी दर्शकों को खूब पसंद आई थी। क्या दोबारा साथ काम करने की उम्मीद है?
बिल्कुल। अक्षय और मैं भी यही सोचते हैं कि फिर कभी साथ काम करना चाहिए। अगर भगवान ने चाहा तो जरूर होगा।
काम को लेकर आपकी अप्रोच क्या रहती है?
मैं बहुत ही मोडेस्ट अप्रोच रखती हूं। जिन लोगों को जानती हूं, उन्हें मैसेज कर देती हूं कि अगर कोई काम हो तो बताइए। एक्टर्स की असली स्ट्रगल तब होती है जब काम खत्म हो जाता है। गैप आ जाए तो खुद को लोगों को याद दिलाना पड़ता है। मुझे इसमें कोई शर्म नहीं लगती। काम मांगने में झिझक क्यों?