अल फलाह के चेयरमैन ने ₹415 करोड़ अवैध कमाए:  ED का दावा- विदेश भागने वाला था; यूनिवर्सिटी से 10 लोग लापता, इनमें 3 कश्मीरी

अल फलाह के चेयरमैन ने ₹415 करोड़ अवैध कमाए: ED का दावा- विदेश भागने वाला था; यूनिवर्सिटी से 10 लोग लापता, इनमें 3 कश्मीरी


नई दिल्ली/फरीदाबाद37 मिनट पहले

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 18 नवंबर को अल फलाह के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था।

दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी डॉक्टरों की ‘पनाहगार’ रही फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) का शिकंजा कस गया है। ED ने बुधवार को यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को साकेत कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने दलीलें सुनने के बाद जवाद को 13 दिन की रिमांड पर ED को सौंप दिया।

जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि सिद्दीकी ने अल फलाह यूनिवर्सिटी के जरिए छात्रों, उनके माता-पिता को मान्यता प्राप्त संस्थान बताकर गुमराह किया और उनसे 415.10 करोड़ की अवैध कमाई की। ED के मुताबिक सिद्दीकी का परिवार खाड़ी देशों में बसा है। वह भी विदेश भागने की तैयारी में था।

अगर उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता तो वो विदेश भागकर जांच से बच सकता था। सबूत मिटा सकता था। ED ने कोर्ट को बताया कि 1990 के दशक के बाद अल फलाह ग्रुप ने तेजी से तरक्की की और एक बड़ा शैक्षणिक संस्थान बन गया। हालांकि, ग्रुप की वित्तीय स्थिति और उसकी संपत्तियों के बीच बड़ा अंतर है, जो संदेह पैदा करता है।

दूसरी तरफ, खुफिया सूत्रों ने बताया कि अल फलाह यूनिवर्सिटी में काम करने या पढ़ाई करने वाले 10 लोग लापता हैं। इनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। इनमें 3 कश्मीरी हैं। उनके फोन बंद आ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस की संयुक्त टीमें इन्हें खोजने में जुटी हैं।

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अपडेट्स

37 मिनट पहले

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दिल्ली विस्फोट में मारे गए जम्मू-कश्मीर के व्यक्ति का शव उसके घर पहुंचा

दिल्ली में 10 नवंबर को कार विस्फोट में मारे गए 30 साल के एक मजदूर का शव बुधवार को जम्मू-कश्मीर के गंदेरबल जिले के कंगन इलाके में उसके घर पहुंचा। अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।

57 मिनट पहले

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डॉ. उमर के सुसाइड बॉम्बर बनाने के वीडियो की वॉइस टोन की जांच

एक दिन पहले डॉ. उमर का सुसाइड बॉम्बर बनाने के इरादे बताता वीडियो वायरल हुआ था। सूत्रों की मानें तो डॉ. उमर के इस वीडियो की टोन को लेकर NIA को शक है। आतंकी की इंग्लिश फ्लूएंट तो है, लेकिन उसमें आर्टिफिशियल टोन नजर आ रही है।

यह न तो भारतीय और न ही अमेरिकी व ब्रिटिश की लग रही। एनआईए की साइबर और लैंग्वेज फोरेंसिक टीम इसकी जांच कर रही है कि इंग्लिश का यह खास लहजा कहां सिखाया जाता है। इस लहजे को मिलिट्री इंटेलिजेंस से भी पहचान के लिए जानकारी मांगी है।

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