4 घंटे पहले
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फिल्मों में जब कोई स्टंट सीन चलता है, तो दर्शक पर्दे पर हीरो की बहादुरी देख कर रोमांचित हो उठते हैं। लेकिन कैमरे के पीछे की सच्चाई कई बार इससे कहीं ज्यादा खतरनाक होती है। कुछ ऐसा ही हुआ था अभिनेता विवेक ओबेरॉय के साथ, जब उनके करियर की शुरुआती फिल्म ‘रोड’ की शूटिंग के दौरान उनकी जान जाते-जाते बची थी।

विवेक इन दिनों अपनी आने वाली कॉमेडी फिल्म ‘मस्ती 4’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं। इसी दौरान मैशेबल इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में विवेक ने खुलकर बताया कि कैसे 2002 में राजस्थान की एक सुनसान सड़क पर हुए एक हादसे ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था।
विवेक ने बताया- मैं राजस्थान में फिल्म ‘रोड’ की शूटिंग कर रहा था। हम बीकानेर से जैसलमेर जा रहे थे। रात का समय था और सड़कें बिल्कुल सुनसान थीं। सीन के सिलसिले में हमें उस लोकेशन तक पहुंचना था। मैंने ड्राइवर से कई बार कहा कि धीरे चलाओ, आगे रेत उड़ रही है, रोड ठीक से दिख नहीं रही, लेकिन ड्राइवर शायद जल्द पहुंचने की जल्दी में था। मैंने उसे कम से कम 15 से 20 बार धीरे चलाने की चेतावनी दी।

विवेक ने बताया कि वह कार की आगे की सीट पर बैठे थे और थकान की वजह से आराम करने की कोशिश कर रहे थे। तभी अचानक कुछ सेकेंड में हालात भयावह हो गए। सामने से आ रही तेज रोशनी में ड्राइवर का बैलेंस बिगड़ गया और गाड़ी सड़क की किनारे रखी लोहे की छड़ों से जा टकराई। टक्कर इतनी जोरदार थी कि छड़ों ने कार की विंडशील्ड तोड़ते हुए अंदर तक घुस गईं। उनमें से एक छड़ मेरे चेहरे के बेहद करीब तक पहुंचकर वहीं रुक गई।
विवेक कहते हैं- वो पल मेरी जिंदगी के सबसे डरावने पलों में से एक था। सिर्फ दो इंच और वो छड़ मेरे सीने में घुस जाती। शायद तब मैं आज जीवित नहीं होता। हादसे के बाद पूरी टीम कुछ देर के लिए सन्न रह गई। सबको समझ आ गया कि वक्त पर ब्रेक लगने से एक बड़ी त्रासदी टल गई थी।

उन्होंने कहा- सिनेमा में एक्शन दिखाना आसान लगता है, लेकिन असली जिंदगी में कोई स्क्रिप्ट नहीं होती. कभी-कभी एक छोटी गलती बहुत भारी पड़ सकती है।
आज जब विवेक उस घटना को याद करके सिहर जाते हैं। वह कहते हैं कि वक्त ने उन्हें दूसरी जिंदगी दी। उनका मानना है कि उस हादसे ने उन्हें और जिम्मेदार बना दिया और हर शूटिंग के दौरान सुरक्षा को लेकर सजग रहना सिखाया।



