बीती रात मंदिर में की गई बाबा की आरती।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। मंदिर के गर्भगृह में सुबह 4 बजे से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ केदारेश्वर की पूजा-अर्चना चल रही है जो कि 6 बजे तक चलेगी। इसके बाद सुबह 8:30 बजे डोली गर्भगृह से
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बुधवार दोपहर से ही कपाट बंद करने की धार्मिक तैयारियां शुरू हो चुकी थीं। जिसमें बाबा केदार की पंचमुखी डोली को पूरे मंदिर परिसर में घुमाया गया था और फिर मुख्य पुजारियों ने शीतकालीन पूजा की तैयारियां प्रारंभ कीं।
बाबा की डोली केदारनाथ मंदिर से निकल 55 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय कर 25 अक्टूबर को उखीमठ पहुंचेगी, यहां अगले 6 महीने तक बाबा अपनी शीतकालीन गद्दी ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होंगे।
श्रद्धालु भी 25 अक्टूबर से ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा के दर्शन कर पाएंगे।
बता दें कि केदारनाथ धाम के कपाट इस साल 2 मई को खुल गए थे, और अबतक 17 लाख 45 हजार से अधिक श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं। यह 2013 की आपदा के बाद दूसरा अवसर है, जब इतनी बड़ी संख्या में भक्तों ने यात्रा की।
केदारनाथ धाम की PHOTOS देखें..
बीती रात केदारनाथ मंदिर में इस साल की आखिरी संध्या आरती की गई थी।

रात के समय हुई आरती में मंदिर परिसर में लगी भक्तों की भारी भीड़।

बीते कल बाबा की पंचमुखी डोली को परिसर में घुमाया गया था।

जिसके बाद डोली वापस मंदिर में चली गई थी, आज इसी डोली के बाहर आते ही कपाट बंद हो जाएंगे।

केदारनाथ में भक्त भगवान शिव के डमरू संग दिखे।
कपाट बंद करने की प्रक्रिया सुबह 4 बजे से चल रही
मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने जानकारी देते हुए बताया कि अलसुबह 2:30 बजे आम लोगों के लिए मंदिर बंद कर दिया गया, जिसके बाद साफ सफाई की गई और अब सुबह 4 बजे केदारनाथ भगवान की समाधि पूजा प्रारंभ हो चुकी है, जो की 6 बजे तक चलेगी। 6 बजे ही गर्भगृह के कपाट बंद कर दिए जाएंगे, हालांकि मंदिर के पूर्व दिशा में स्थित मेन गेट को साढ़े 8 बजे बंद किया जाएगा। इसके बाद चल विग्रह डोली पंचकेदार के गद्दी स्थान पर पहुंचेगी, इसके बाद 6 महीने तक भगवान केदार नाथ जी के दर्शन के लिए श्रद्धालु उखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर में आ सकते हैं।

बाबा की डोली की यात्रा का कार्यक्रम
कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार की पंचमुखी चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल उखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी।
- पहला दिन (23 अक्टूबर): धाम से रामपुर तक 26 किमी की यात्रा, वहीं रात्रि प्रवास।
- दूसरा दिन (24 अक्टूबर): रामपुर से फाटा होते हुए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी तक 17 किमी यात्रा।
- तीसरा दिन (25 अक्टूबर): गुप्तकाशी से ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ तक 12 किमी की यात्रा।तीन दिन की यह 55 किमी यात्रा के बाद बाबा उखीमठ स्थित शीतकालीन गद्दीस्थल पर विराजमान होंगे।
बुधवार को धाम में छाई रही दिव्यता
बुधवार को कपाट बंद करने की प्रक्रिया की शुरुआत हुई। बाबा की पंचमुखी डोली को पूरे परिसर में घुमाया गया। मंदिर को लगभग 12 क्विंटल फूलों से सजाया गया। ‘हर हर महादेव’ के जयकारों से पूरा केदारनाथ गूंज उठा। देश-विदेश से आए श्रद्धालु डमरू की थाप पर झूमते नजर आए और इस अद्भुत दृश्य को अपने कैमरों में कैद किया।
धार्मिक परंपरा और श्रद्धा का संगम
धर्मशास्त्रों के अनुसार, ऊंचाई वाले धामों में हर वर्ष शीतकाल में बर्फबारी के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए कपाट बंद किए जाते हैं। इसी तरह जब केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए जाते हैं तो भगवान केदारनाथ उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में पूजे जाते हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। 6 महीने तक भक्त अपने आराध्य शिव के दर्शन इसी शीतकालीन गद्दीस्थल पर करते हैं।




