मेरे पिता ने साल 1980 से खेती की शुरुआत की थी, लेकिन मैंने 2005 से खेती को वैज्ञानिक तरीके से अपनाया। पढ़ाई के दौरान ही मैंने तय कर लिया था कि खेती को व्यवसायिक सोच के साथ करना है।
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मैंने रांची हेडर, कटक, भोपाल और 2018 में झारखंड सरकार की ओर से इजराइल जाकर आधुनिक खेती का प्रशिक्षण लिया। वहां से लौटकर मैंने प्रधानमंत्री ट्रिप (ड्रिप) इरिगेशन योजना के तहत ड्रिप सिंचाई सिस्टम को अपनाया।
मेहनत की बदौलत आज बंजर जमीन भी लहलहा रही है।
इस तकनीक से पानी की काफी बचत होती है और फसल बेहतर तैयार होती है। कभी जिस जमीन को लोग बंजर मानते थे, आज वही मेरी मेहनत और वैज्ञानिक खेती से उपजाऊ हो चुकी है। खेती से अब मैं हर महीने 50 से 60 हजार रुपए तक की आय कर रहा हूं। पांच एकड़ बंजर जमीन को अपने दम पर उपजाऊ बनाया।
दूसरे जगह से मिट्टी ला कर खेत किया तैयार
दूसरे स्थान से मिट्टी लाकर खेत तैयार किया और उसमें टमाटर, गोभी, मिर्च, करेला, भिंडी,पपीता, मटर, मूली और कई तरह की सब्जियां उगाना शुरू किया। सिंचाई के लिए मनरेगा योजना से 20 फीट गहरा कूप खुदवाया। सरकार से मुझे वर्मी कंपोस्ट शेड और मिनी कोल्ड स्टोर भी मिला। इससे मैं केंचुआ खाद तैयार करता हूं और फसल को सुरक्षित रखकर थोक बिक्री करता हूं।
मेरी खेती देखकर आसपास के कई किसान भी प्रेरित हुए हैं। विजय यादव, रामजी यादव, अनिल पंडित, मुख्तार अंसारी, सुदामा देवी समेत कई किसान अब वैज्ञानिक पद्धति से खेती कर रहे हैं। मुझे प्रखंड और जिला स्तर पर कई बार बेहतर किसान के रूप में सम्मानित किया जा चुका है।

अजय साव ने इजराइल जा कर खेती में तकनीक के गुर सीखे।
मेरा मानना है कि अगर खेती वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो यह किसी नौकरी से कम नहीं है। मेरी कोशिश है कि गांव के ज्यादा से ज्यादा लोग खेती को पेशेवर ढंग से अपनाएं। यही मेरे जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य है। आज हमारे परिवार के 10 में से 9 सदस्य खेती से जुड़े हैं और सामूहिक रूप से हर महीने अच्छी आमदनी कर रहे हैं।
कम बारिश के बावजूद बेहतर खेती का तरीका इजराइल से सीखा
झारखंड सरकार की ओर से 2018 में इजराइल भेजकर खेती करने का प्रशिक्षण लिया। इजराइल में पानी की कमी है। इस कारण खेती करने के विशेष तकनीक सीखकर ट्रिप इरिगेशन सिस्टम और मल्चिंग तरीके से खेती करना जाना।
जैविक खेती का प्रशिक्षण कम बारिश के बावजूद बेहतर खेती करने का तरीका इजराइल से प्राप्त हुआ। मैं किसान दोस्तों को बार बार कहता हूं सोच में बदलाव से सुखाड़ या अतिवृष्टि में भी अच्छी फसल पाई जा सकती है।

अजय पढ़ाई के साथ ही वह अपने पिता के साथ खेती करना सीखने लगे थे।
जानिए… कौन हैं अजय साव
अजय साव कोडरमा जिले के चंदवारा प्रखंड के अरागारो पंचायत के सरदारोडीह गांव के एक सफल है। प्रारंभिक पढ़ाई गांव के स्कूल में की है । मैट्रिक परीक्षा सीएच प्लस टू उच्च विद्यालय झुमरी तिलैया से किया है।
वहीं आगे की पढाई इंटर राम लखन सिंह यादव कॉलेज कोडरमा से की है। उनके माता-पिता और पत्नी सहित पूरा परिवार खेती में सहयोग करता है। पढ़ाई के साथ ही वह अपने पिता के साथ खेती करना सीखने लगा था। अजय साव के चार बच्चे हैं। इसमें दो पुत्र और दो पुत्री हैं।



