‘हम दशहरे पर घर जाना चाहते थे। ठेकेदार ने छुट्टी देने से मना कर दिया। हमें पास में ही मेला घूमने के लिए 50-50 रुपए दिए थे। इसके बाद ठेकेदार ने हमें पीटा। हम 5 भाइयों के साथ मारपीट की गई। हम भागने लगे तो ठेकेदार भी हमारी पीछे दौड़ा।
.
थोड़ा आगे जाने पर रेलवे ट्रैक था। हम बचने के लिए दौड़ रहे थे, तभी उस ट्रैक पर ट्रेन आ गई। हम सभी भाई उसकी चपेट में आ गए। मौके पर ही मेरे 4 भाइयों की मौत हो चुकी है। उन सभी के शरीर के चीथड़े उड़ गए थे।’
ये बयान है 12 साल के कुलदीप ऋषिदेव का। पूर्णिया में 3 अक्टूबर को 5 भाई वंदे भारत की चपेट में आ गए थे। 4 भाइयों की मौत हो चुकी है। कुलदीप इस घटना का इकलौता चश्मदीद है। उसकी हालत भी गंभीर बनी है। GMCH में इलाज चल रहा है।
घटना के बाद पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने इसे हत्या बताया था। सांसद के इस बयान के बाद भास्कर ने हादसे में जिंदा बचे कुलदीप से अस्पताल में बात की। पढ़िए 4 भाइयों की मौत की पूरी कहानी, चश्मदीद की जुबानी…
हादसे में कुलदीप के दोनों पैर फ्रैक्चर हुए हैं। GMCH में उसका इलाज चल रहा है
36 घंटे बाद होश आया, इकलौते चश्मदीद के 2 अलग-अलग बयान
पहला- फैक्ट्री से भागे, थककर ट्रैक पर बैठे थे
घटना के इकलौते चश्मदीद 12 साल के कुलदीप को 36 घंटे बाद होश आया। कुलदीप ने भास्कर को बताया, मेरे 4 भाई मुफस्सिल थाना क्षेत्र के सपनी में पिछले डेढ़ महीने से मखाना फोड़ी का काम कर रहे थे।
मैं 3 सप्ताह से वहां काम कर रहा था। ठेकेदार हम लोगों से ओवरटाइम कराता था। 18 घंटे काम और आधा पेट ही खाना दिया जाता। नींद तक पूरी नहीं करने दी जाती थी।
मना करने पर उन्हें बुरी तरह पीटा जाता था। भागने से एक रोज पहले ठेकेदार ने हमारे साथ मारपीट की थी। इसके बाद हम पांचों ने वहां से भागने का प्लान बनाया था।
ठेकेदार ने हमें मेला घूमने के लिए 50, 50 रुपए दिए थे। कसबा में मेला देखने के नाम पर हम भाग निकले। मेला घूमकर थक जाने के बाद वे रेल की पटरी पर बैठ गए। काफी थके होने के कारण आंख लग गई। इसके बाद क्या हुआ उसे मालूम नहीं।

दूसरा- ठेकेदार से बचकर भाग रहे थे ट्रेन आ गई
इसके ठीक अगले ही दिन कुलदीप ऋषिदेव का बयान बदल गया। भास्कर से बातचीत में कुलदीप ने कहा कि हम दुर्गा पूजा का मेला देखने के लिए नवमी को छुट्टी मांग रहे थे। मगर ठेकेदार इसके बजाए उनसे ओवर टाइम करा रहा था।
छुट्टी देने से साफ इनकार कर दिया था। विरोध करने पर हमारे साथ मारपीट की गई थी। अगले शाम पूरे दिन काम कराने के बाद मेला घूमने के नाम पर महज 50-50 रुपए सभी को दिए गए। मारपीट के खिलाफ बोलने पर हमें पीटा। इसके बाद ही हम लोग भाग निकले।
हालांकि हमारे भागने की भनक ठेकेदार को लग गई। ठेकेदार ने हमारा पीछा किया। मेला घूमने के बाद हम सभी रेलवे की पटरियों से होते हुए घर लौट रहे थे कि तभी ठेकेदार वहां अचानक आ धमका।
उसके हाथ में धारदार हथियार था। भय दिखाकर मारपीट शुरू कर दी। हमारे ऊपर जानलेवा हमला कर दिया। भाइयों के ऊपर हमला होता देख मैं सहम गया और खेत के पीछे छिप गया। ठेकेदार ने मुझे भी ढूंढ निकाला। मुझे खींचता हुआ पटरी के पास लाया और धारदार हथियार से हम सभी पर हमला कर दिया।
जानलेवा हमले के बाद मरा हुआ समझकर ठेकेदार हमें पटरी पर छोड़कर भाग निकला। पिटाई से अधमरे होकर हम रेलवे ट्रैक पर ही बेसुध पड़े रहे।

पोस्टमॉर्टम के बाद 4 भाइयों का शव पोटली में बांधकर घर लाया गया था।

3 अक्टूबर को रेलवे ट्रैक के पास चारों भाइयों की शव मिले थे।
हादसे में इन 4 लोगों की मौत हुई है
मृतकों की पहचान सुंदर कुमार (15), सिंटू कुमार (14), जिगर कुमार (14) और रोहित कुमार (15) के रूप में हुई है। घायल का नाम कुलदीप कुमार (12) है।
सभी एक ही परिवार से थे और रिश्ते में भाई थे। बनमनखी प्रखंड के जानकीनगर थाना क्षेत्र के ठाकुरपट्टी वार्ड 4 के रहने वाले हैं। हादसा कसबा थाना क्षेत्र के कटिहार-जोगबनी रेलखंड पर जवनपुर के पास हुआ।
पिता बोले- बच्चों को टॉर्चर करता था ठेकेदार
इससे पहले बच्चों के अंतिम संस्कार कर घर लौटे मृतक श्यामसुंदर के पिता ब्रह्मदेव ऋषि ने बताया था कि, ‘परिवार चलाने के लिए काम की सख्त तलाश थी। जिस वजह से डेढ़ महीने पहले उन्होंने अपने बेटे श्यामसुंदर, भतीजे सिंटू कुमार, जिगर कुमार और भांजा रोहित कुमार, कुलदीप कुमार को ठेकेदार के कहने पर मखाना फोड़ी के काम के लिए सपनी भेजा था।
एक सप्ताह पहले बेटे और भतीजे ने कॉल किया था। बताया था कि हम लोगों को आधे पेट खाना दिया जाता है, ओवर टाइम काम करवाया जाता है। जब ओवर टाइम काम नहीं करते हैं तो ठेकेदार और उसके लोग हमारे साथ मारपीट करते हैं। जबरन हम लोगों से मखाना फोड़ने को कहा जाता है। फिर मैंने अपने बेटे और भतीजे से कहा कि तुम लोगों को वहां काम करने की जरूरत नहीं है, घर आ जाओ।’
मेरे घर बुलाने पर बच्चों ने कहा कि पैसे मिलते ही हम लोग काम छोड़कर भाग जाएंगे और दीवाली तक घर आ जाएंगे। गुरुवार रात को ही करीब 10 बजे बच्चों ने कॉल किया। अपनी मां से बात की। कहा कि हम लोगों को दशहरा का मेला घूमने जाना था, लेकिन ठेकेदार ने पैसे नहीं दिए, न ही छुट्टी दी। इसलिए हम लोग भाग रहे हैं, सुबह तक आ जाएंगे।’
ब्रह्मदेव ऋषि ने आगे कहा कि ‘अगली सुबह करीब 6 बजे ठेकेदार का कॉल आया। उसने बताया कि बच्चे भाग गए हैं। सभी को ढूंढ रहे हैं। घंटे भर बाद उन्हें फोन पर ये जानकारी मिली कि बच्चे ट्रेन से कट गए हैं। पोस्टमॉर्टम हाउस पहुंचने पर बेटे और भतीजे की लाश क्षत विक्षत हालत में पाया।’

4 अक्टूबर को एक साथ चारों भाइयों का एक साथ अंतिम संस्कार किया गया।
पप्पू यादव बोले- हत्या कर के ट्रैक पर फेंके गए शव
सांसद पप्पू यादव ने DIG को फोन कर पूरे मामले की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘ये बच्चे ट्रेन से नहीं कटे हैं, बल्कि ठेकेदार ने इन पांचों बच्चों की हत्या कर लाश को रेल ट्रैक पर फेंका है। इसकी तुरंत जांच करवाएं।
परिजनों का कहना है कि अगर वे वंदे भारत जैसी एक्सप्रेस ट्रेन से कटते तो लाश के चीथड़े उड़ जाते। परिजनों का कहना है जिस तरीके से बॉडी रेलवे ट्रैक पर पड़ी थी, इससे साफ लगता है कि ये हत्या है। सभी को ठेकेदारों की ओर से धमकी मिलती थी।
पांचों बच्चों को मारकर फेंक दिया गया। एक जगह पर पांचों लाश पड़ी थी। पांचों ट्रेन से कट जाएंगे और आश्चर्य की बात सभी की लाश एक जगह रह जाएगी।

हत्या या हादसा दोनों एंगल से जांच कर रही पुलिस
मामले की जानकारी देते हुए DIG प्रमोद कुमार मंडल ने कहा कि, ‘घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मामले में कसबा थाना में केस दर्ज कर लिया गया है। दो बिंदु से पुलिस को इस मामले की जांच करने को कहा गया है। पहला घटना स्थल से बच्चों का एक मोबाइल बरामद हुआ है। उस मोबाइल से जांच में ये पता चल सकेगा कि बच्चे किस लोकेशन से कहां कहां गए।
दूसरा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने पर ये साफ हो जाएगा कि ट्रेन आने से पहले ही इनकी हत्या हुई। हत्या के बाद लाश को रेल ट्रैक पर फेंका गया। या फिर ट्रेन से कटने से बच्चों की मौत हुई है।
साथ ही SP और DSP को भी इस केस पर नजर बनाए रखने को कहा है। साथ ही मुआवजे के लिए जिला प्रशासन से आग्रह की गई है। पीड़ित परिवार को मुआवजा मिल सके इसके लिए हर मुमकिन कोशिश की जानी चाहिए।’