‘मैं, बासुदेव राम और किशुन महतो एक साथ बुधवार की दोपहर भैंस चराने जंगल की तरफ गए थे। शाम को जब हम घर लौट रहे थे, तो सबसे आगे बासुदेव राम चल रहे थे। उसके पीछे मैं था और सबसे पीछे किशुन महतो था।’
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‘हमलोग नदी के पास पहुंच गए थे। बासुदेव नदी पार कर के गांव की तरफ चला गया था। वहीं, मैं नदी पार कर ही रहा था, तभी अचानक हमलोगों को बाघ के दहाड़ की आवाज सुनाई दी। जैसे ही मैं पीछे पलटा बाघ किशुन महतो पर अटैक कर चुका था। सबसे पहले उसने गर्दन पर अटैक किया। करीब एक किलोमीटर तक उसे खींचकर जंगल के अंदर ले गया।’
‘इस हादसे को देख मैं करीब 2 मिनट तक शांत हो गया। मेरा दिमाग बिल्कुल काम नहीं कर रहा था। तभी बासुदेव दौड़कर मेरे पास आया, मुझे शांत देख वो जंगल की तरफ देखने लगा। वहां पर खून देख उसने चिल्लाना शुरू कर दिया। बासुदेव जोर-जोर से चिल्लाते हुए गांव की ओर दौड़ा। मैं बाघ के पीछे-पीछे बढ़ा, लेकिन जंगल की अंदर जाने की हिम्मत नहीं हुई। इस बीच गांव के लोग भी घटनास्थल पर पहुंच गए।’
‘कुछ देर बाद वन विभाग की टीम भी आई और खोजबीन शुरू हुई। करीब रात 9 बजे जंगल के अंदर से किशुन का नग्न अवस्था में शव मिला है। उसके शरीर पर बाघ के हमले के 15 से 20 जगह गहरे निशान थे। दोनों पैरों को बुरी तरह बाघ ने नोच डाला था। जांघ के मांस खा गए थे।’
यह कहना है रवि साह का, जो बाघ के हमले में मारे गए किशुन महतो का साथी था।
घटना के बाद की तस्वीर…
मृतक की बॉडी को बांस के सहारे घटनास्थल से ले जाती हुई वन विभाग की टीम।

शव को गाड़ी में रखकर पोस्टमॉर्टम के लिए जाती पुलिस की टीम।

रात में जगकर पहरेदारी करते ग्रामीण।
दरअसल, बेतिया में बाघ के हमले में बुधवार की रात एक ग्रामीण की मौत हुई है। मृतक की पहचान खेखरिया टोला गांव निवासी किशुन महतो(61) के रूप में हुई है। घटना के बाद आसपास के गांवों में दहशत का माहौल है। ग्रामीण लाठी-डंडे लेकर चौकसी कर रहे हैं।
बहू ने बताया, हर दिन की तरह ससुर जी अपनी भैंसों को चराने के लिए बुधवार दोपहर अन्य चरवाहों के साथ पंडयी नदी किनारे गए थे। शाम करीब 5 बजे जब वे पशुओं को लेकर घर लौट रहे थे, तभी झाड़ियों में छिपे बाघ ने अचानक हमला कर दिया। इसी में उनकी मौत हो गई।
मौके से आई कुछ तस्वीरें देखिए….

इसी तालाब के पास हादसा हुआ था।

घटना के बाद किशुन के घर पर जुटी ग्रामीणों की भीड़।

सीने से लेकर जांघ तक बाघ ने किशुन पर किया हमला।
बाघ ने आखिर किशुन महतो पर हमला कैसे किया? उस वक्त उनके साथ मौजूद लोगों ने क्या देखा? और इस हमले के बाद गांव में कैसा खौफ है कि लोग रात-रात भर जागकर पहरा देने को मजबूर हैं?
इन सारे सवालों का जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम कैरी खेखरिया टोला गांव पहुंची। पढ़िए यह ग्राउंड रिपोर्ट…
नदी, और जंगल से होते हुए हमारे रिपोर्टर कैरी खेखरिया गांव पहुंचे। गांव में घुसते ही एक अजीब सा सन्नाटा दिखाई पड़ा। हर आंख में दहशत, जिसे देखो वो रामकिशुन महतो के घर की ओर जा रहा था।
हमने एक गांव वाले से पूछा उस व्यक्ति का घर कहां है, जिसे बाघ ने मारा है। उसने कहा- मैं वहीं चल रहा हूं चलिए। मृतका के घर भीड़ लगी थी। हर व्यक्ति की जुबान पर बाघ ही था। मरने के गम से ज्यादा बाघ के खौफ की चर्चा हो रही थी।
मैंने जैसे ही घटना के बारे में पूछा तो ग्रामीण जैकी बोल उठे, सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि घटना के 24 घंटे बीत गए, लेकिन अभी तक बाघ ट्रैक नहीं हो पाया है। इसके चलते हम सब डरे हुए हैं, पता नहीं कब वो किस पर हमला कर दे।

डर के साए में जी रहे ग्रामीण
ग्रामीण जैकी ने कहा, ‘घटना के बाद आसपास के 20 गांवों में दहशत फैल गई है। बच्चे अब स्कूल जाने से डर रहे हैं, महिलाएं और बुजुर्ग शाम ढलते ही घरों से बाहर निकलने से कतराते हैं। ग्रामीण रातभर आग जलाकर पहरा देते हैं।’
बाघ शिकार की तलाश में लौट सकता
बाघ के हमले के बाद कैरी, खेखरिया, महायोगीन, बलबल, सोफा और विशुनपुरवा गांवों में लोग डरे हुए हैं। ग्रामीणों को डर है कि, बाघ अपने शिकार की तलाश में फिर गांव की ओर लौट सकता है। इसी डर से ग्रामीण रतजगा कर रहे हैं और लाठी-डंडे के साथ चौकसी बनाए हुए हैं।
ग्रामीण बोले, गांव में यह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी आसपास के गांव में कई बार बाघ और भालू हमला कर चुका है। हमारी कोई सुनने वाला नहीं है। डर लगा रहता है कि घर के बाहर काम से निकले तो लौटकर आएंगे भी या नहीं।

पहले सोचा बाघ मवेशी को उठाकर ले गया
वहीं, बगल में वासुदेव राम बैठे हुए थे। ये भी किशुन के साथ भैंस चराने गए थे। इन्होंने बताया कि भैंस चराने के बाद मैं आधे से ज्यादा मवेशियों को लेकर सबसे आगे चल रहा था। मेरे पीछे रवि और किशुन आ रहे थे। तभी अचानक मुझे बाघ की आवाज सुनाई दी।
मैंने पीछे मुड़कर देखा और कहा देखिए, बाघ ने किसी मवेशी को पकड़ लिया है, लेकिन जैसे ही गौर से देखा तो पता चला कि वह किशुन को ही पकड़कर जंगल की तरफ ले गया है। इसके बाद मैं भागकर गांव पहुंचा। लोगों को पूरी घटना की जानकारी दी। साथ ही वन विभाग को भी सूचना दी गई।
पत्नी बोली- बाघ ने मेरे पति को चीर-फाड़ डाला
मृतक की पत्नी श्रीदेवी ने रोते हुए बताया, ‘बुधवार दोपहर मेरे पति भैंस चराने सरेह में गए थे। देर शाम अचानक बाघ ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें पकड़कर जंगल की ओर खींचकर ले गया।
बाघ के हमले से उनकी मौत हो गई। जब शव मिला तो पूरे शरीर पर बाघ के पंजों और दांतों के गहरे निशान थे। उसने मेरे पति को चीर-फाड़ डाला है।

7 बच्चों के पिता थे मृतक
मृतक किशुन नाथ सात बच्चों के पिता थे। बेटी पूजा ने बताया, पिता हर दिन की तरह जानवर चराने खेत की तरफ गए थे। हमेशा वो शाम में समय पर आ जाते थे, लेकिन कल जब वो शाम 7 बजे तक घर नहीं आए तो हमलोगों को चिंता होने लगी।
इसके बाद हमलोग गांव में उन्हें ढूंढने के लिए निकले, लेकिन वो कहीं नहीं मिले। रात 9 बजे उनकी बॉडी हमें खेत की तरफ मिली। घर में 4 भाई-बहनों की शादी हो चुकी है, अभी भी 3 की शादी नहीं हुई है। अब ये जिम्मेदारी कौन उठाएगा।’
वहीं, बेटे जंतेश महतो ने बताया, ‘मैं अपने परिवार के साथ नेपाल में रहकर मजदूरी का काम करता हूं। बुधवार की शाम करीब 8 बजे मेरे भाई ने फोन कर बताया कि पिताजी पर बाघ ने हमला कर दिया है, जिससे उनकी मौत हो गई है।
यह खबर सुनते ही हमारे पैरों तले जमीन खिसक गई। हम पूरी रात बेचैन रहे और आज सुबह ही घर पहुंचे हैं। अब पिताजी का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

सहोदरा थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि, ‘शव को बरामद कर लिया गया है और परिजनों की ओर से आवेदन दिए जाने पर आगे की कार्रवाई की जा रही है। वहीं, वन संरक्षण सह निदेशक डॉ. नेशामनी ने कहा कि, घटना की सूचना गांव के मुखिया की ओर से दी गई थी। इसके अलावा हमलोग बाघ की ट्रैकिंग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।’
वहीं DFO ने ग्रामीणों से अपील की है शाम और सुबह के समय जंगल या खेतों के पास न जाएं। अगर जाना भी हो, तो ग्रुप में जाएं। हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग पहले की तरह अलर्ट नहीं करता, जिससे ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। विभाग के अनुसार, बाघ की ट्रैकिंग की जा रही है, लेकिन अभी तक उसका पता नहीं चला।
900 स्क्वायर किलोमीटर 300 गांव
वन संरक्षण सह निर्देशक डॉ. नेशामनी ने बताया कि, ‘वाल्मीकि टाइगर रिजर्व का 900 स्क्वायर किलोमीटर एरिया है। इसके आसपास करीब 300 से अधिक गांव हैं। पिछले 6 महीने में तीन घटनाएं हुई हैं, जिसमें बाघ ने किसी इंसान के ऊपर हमला किया है और मौत हुई है।’
‘बाघ अमूमन इंसानों पर सीधा हमला नहीं करते हैं। नदी के किनारे ही किसी वाइल्ड ऐनिमल का मूवमेंट होता है। अगर बाघ को लगता है कि कोई इंसान उसके लिए खतरा हो सकता है, तब वो हमला करता है।’
‘खासतौर पर जब बाघ ओल्ड एज के हो जाते हैं, तब किसी वाइल्ड एनिमल का शिकार नहीं कर पाते हैं। ऐसे में वह इंसानी बस्ती में घुसकर आसान शिकार की तलाश करते हैं।’

20 दिनों के अंदर दूसरी घटना
दरअसल, 11 सितंबर की शाम साढ़े 4 बजे सोनवर्सा गांव के उमछी देवी (60) को बाघ ने खा लिया था। दो घंटे बाद उनके अलग-अलग पैर और सिर का कुछ हिस्सा जंगल में मिला था। 20 दिनों के अंदर यह दूसरी घटना है।