पिछले साल बिक्री का अनुमानित आंकड़ा 8 से 9 करोड़ के आसपास था।
असत्य पर सत्य की विजय का पर्व दशहरा गुजरात के लिए खास दिन होता है। इस दिन लोग जमकर फाफड़ा-जलेबी खाते हैं। हर साल दशहरे के दिन करोड़ों रुपए के फाफड़ा-जलेबी लोग खा जाते हैं। इस बार करीब 9 से 10 करोड़ के फाफड़े और 7 से 8 करोड़ की जलेबी की बिक्री होने का अन
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गुरुवार को फाफड़ा और जलेबी के लिए सुबह 6 बजे से ही दुकानों पर कतार देखने को मिली। पिछले साल की तुलना में इस साल फाफड़ा और जलेबी के दाम में कुछ बढ़ोतरी भी हुई है। तेल में बनी जलेबी पिछले साल 320 रुपए किलो थी, जो इस साल 320 से 340 रुपए है।
सूरत में फाफड़ा-जलेबी के लिए दुकानों पर लगी लाइनों की तीन तस्वीरें…


कीमतों में 50 रुपए की वृद्धि शुद्ध घी में बनी जलेबी पिछले साल 400 से 450 रुपए प्रति किलो थी, जो इस साल 500 से 550 रुपए किलो है। वहीं फाफड़ा पिछले साल 400 रुपए किलो था, जो इस साल 400 से 450 रुपए है।
दशहरे में डिमांड इतनी ज्यादा है कि सूरत, अहमदाबाद की दुकानों पर 2-3 दिन पहले से ही ऑर्डर बुक कर लिए गए हैं। बड़े शहरों में 400 से अधिक फरसाण (सूखा नाश्ता) विक्रेता हैं।
फरसाण कारोबारी दीपेश भट्ट ने बताया कि मूल सूरत के लगो जलेबी और पापड़ी और सौराष्ट्रवासी जलेबी और फाफड़ा खाते हैं। गुजरात की ही तरह मुंबई, कोलकाता, इंदौर, रायपुर और रांची में भी फाफड़े की अच्छी बिक्री होती है।