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- RBI’s MPC Meeting Will Begin Today; Interest Rate Could Be Lowered By 0.25%, Current RBI Repo Rate Is At 5.50%
नई दिल्ली2 घंटे पहले
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RBI ने जून में ब्याज दर 0.50% घटाकर 5.5% की थीं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग आज यानी 29 सितंबर से शुरू हो रही है। यह मीटिंग 1 अक्टूबर तक चलेगी और इसी दिन इसमें लिए गए सभी फैसलों का ऐलान किया जाएगा।
RBI की MPC की इस मीटिंग में ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की जा सकती है। हाल ही में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया यानी SBI की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई थी।
अगर ऐसा होता है तो लोन और ब्याज की दरें थोड़ी कम हो सकती हैं, जिससे आम लोगों और कारोबारियों को राहत मिल सकती है। यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत हो सकता है। क्योंकि इससे कर्ज सस्ता होगा और कारोबार को बढ़ावा मिलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि अभी महंगाई पूरी तरह काबू में है और आगे भी इसके और कम होने की उम्मीद है।
RBI ने दरें नहीं घटाईं, तो यह “टाइप 2 एरर” होगा
SBI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2019 में GST दरों में कटौती से महंगाई में करीब 35 बेसिस पॉइंट की कमी आई थी। इसलिए, अभी ब्याज दरों में कटौती का सही समय है।
अगर RBI ने अब दरें नहीं घटाईं, तो यह एक “टाइप 2 एरर” होगा, यानी सही मौके पर गलत फैसला लेना। पहले भी ऐसा हुआ है जब RBI ने अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद ब्याज दरें नहीं घटाई थीं।
जून से ब्याज दरों में कटौती का पैमाना ऊंचा रहा है
रिपोर्ट में यह भी जोर दिया गया है कि जून से ब्याज दरों में कटौती का पैमाना ऊंचा रहा है। इसलिए RBI को अपनी बात स्पष्ट और सटीक तरीके से रखनी होगी। सेंट्रल बैंक की कम्युनिकेशन पॉलिसी अपने आप में एक बड़ा हथियार है।
सितंबर-अक्टूबर में महंगाई दर 2% से भी नीचे रह सकती है
SBI रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर और अक्टूबर में महंगाई दर 2% से भी नीचे रह सकती है और वित्त वर्ष 2027 तक यह 4% या उससे कम बने रहने की संभावना है। अगर GST दरों में बदलाव होता है, तो अक्टूबर में महंगाई 1.1% तक गिर सकती है, जो 2004 के बाद सबसे कम होगी।
MPC की पिछली मीटिंग 4 से 6 अगस्त को हुई थी
RBI की MPC की पिछली मीटिंग 4 से 6 अगस्त को हुई थी। इस मीटिंग में RBI ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया था। इसे 5.5% पर जस का तस रखा था। इससे पहले RBI ने जून में ब्याज दर 0.50% घटाकर 5.5% की थीं।
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा था कि कमेटी के सभी मेंबर्स ब्याज दरों को स्थिर रखने के पक्ष में थे। टैरिफ अनिश्चितता के कारण ये फैसला लिया गया है। RBI जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। इसमें बदलाव नहीं होने का मतलब है कि ब्याज दरें न तो बढ़ेंगी न घटेंगी।


इस साल 3 बार घटा रेपो रेट, 1% की कटौती हुई
RBI ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।
दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। जून में तीसरी बार दरों में 0.50% कटौती हुई। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1% घटाई।
रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है?
किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।
पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।
इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।
हर दो महीने में होती है RBI की मीटिंग
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 RBI के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। RBI की मीटिंग हर दो महीने में होती है।
बीते दिनों रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकों का शेड्यूल जारी किया था। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हुई थी।
