रोहतक के बार एसोसिएशन की तरफ से आयोजित व्याख्यान में मंच पर मौजूद गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत आर्य।
रोहतक बार एसोसिएशन की तरफ से प्रकृति और कानून विषय पर व्याख्यान का आयोजन बार एसोसिएशन के हाल में किया गया, जिसमें विधिक, शैक्षिक एवं सामाजिक क्षेत्र की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया। कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में गुजरात व महाराष्ट्र के राज
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व्याख्यान कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. विजेंद्र सिंह अहलावत बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा के चेयरमैन ने भाग लिया। विजेंद्र अहलावत ने बार एसोसिएशन रोहतक के इतिहास पर एक समृद्ध और सूचना प्रद व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने संस्था की स्थापना, विकास और उसके सामाजिक न्यायिक योगदानों को विस्तार से प्रस्तुत किया।
रोहतक बार एसोसिएशन में पहुंचे राज्यपाल आचार्य देवव्रत आर्य का स्वागत करते वकील।
प्राकृतिक संतुलन व विधिक व्यवस्था एक दूसरे के पूरक
गुजरात एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रकृति और कानून विषय पर अपने विचार रखते हुए बताया कि कैसे वैदिक मूल्य, प्राकृतिक संतुलन और विधिक व्यवस्था एक-दूसरे के पूरक हैं। प्राकृतिक खेती की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती भूमि को उपजाऊ बनाती है, जबकि रासायनिक खेती भूमि को बंजर कर देती है।
आचार्य देवव्रत ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, नशा मुक्ति अभियान एवं वैदिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार जैसे सामाजिक आंदोलनों में अपनी सक्रिय भूमिका का उल्लेख किया। साथ ही किसानों को भूमि उपजाऊ बनाने के तरीकों के बारे में जानकारी दी और पशु पालन के बारे में भी जागरूक किया।

रोहतक बार एसोसिएशन के हाल में पहुंचे राज्यपाल आचार्य देवव्रत।
रोहतक बार में 50 प्रतिशत से अधिक एमडीयू के स्टूडेंट
महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रो. राजबीर सिंह ने बताया कि रोहतक बार एसोसिएशन के 50 प्रतिशत से अधिक सदस्य एमडीयू के पूर्व छात्र हैं। वीसी ने शिक्षा और कानून के बीच संबंध को रेखांकित करते हुए यह बताया कि प्रकृति और विधि का समन्वय समाज की स्थिरता के लिए अत्यंत आवश्यक है।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मिलते हुए वकील।
कार्यक्रम के बैनर पर राज्यपाल का नाम लिखा गलत
बार एसोसिएशन की तरफ से व्याख्यान कार्यक्रम के लगाए गए बैनरों पर राज्यपाल का नाम ही गलत लिखा हुआ था, जिसको लेकर बार एसोसिएशन के लोगों में काफी चर्चा भी होती रही। जो बैनर स्वागत गेट पर लगाया गया था, उसमें आचार्य देवव्रत की जगह आचार्य देवरात लिखा हुआ था। वही बैनर बाहर चौक पर भी लगा हुआ था।