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- Delhi High Court Orders Patanjali To Modify Chyawanprash Ad Against Dabur | Court Ruling 2025
नई दिल्ली3 घंटे पहले
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दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को मंगलवार को अपने च्यवनप्राश के विज्ञापन से कुछ हिस्से हटाने का निर्देश दिया है। जस्टिस हरि शंकर और ओम प्रकाश शुक्ला की बेंच ने यह निर्देश हाईकोर्ट के ही पुराने आदेश के खिलाफ दी गई याचिका पर दिया जिसमें पतंजलि के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई थी।
दरअसल, डाबर इंडिया लिमिटेड ने पतंजलि के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में शिकायत दायर की थी। डाबर ने पतंजलि पर आरोप लगाया था कि वो डाबर को बदनाम कर रहे हैं। जिसके बाद 3 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने पतंजलि के विज्ञापन पर रोक लगा दी थी। इसके बाद पतंजलि ने आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी।
मंगलवार को कोर्ट ने पतंजलि को “व्हाई सेटल फॉर ऑर्डिनरी च्यवनप्राश” कहने की अनुमति दी है, लेकिन इसके साथ “मेड विद 40 हर्ब्स” वाला हिस्सा हटाने को कहा है।
पीठ ने कहा-

यह च्यवनप्राश है, कोई प्रिस्क्रिप्शन ड्रग नहीं। अगर कैंसर की दवा के लिए कोई ऑर्डिनरी कहे तो गंभीर मामला हो सकता है, लेकिन च्यवनप्राश कई लोग खाते हैं। अपने को बेस्ट बताना और दूसरों को अपने से कम बताना जायज है क्योंकि यह सिर्फ अपनी तारीफ है।

पतंजलि के इस विज्ञापन में बाबा रामदेव की कही बातों को लेकर डाबर ने याचिका दायर की थी।
3 जुलाई को कोर्ट ने विज्ञापन पर रोक लगाई थी
इससे पहले 3 जुलाई को जस्टिस मिनी पुष्कर्णा की सिंगल बेंच की कोर्ट ने पतंजलि को च्यवनप्राश का विज्ञापन चलाने से रोका था। अदालत ने कंपनी को “तो ऑर्डिनरी च्यवनप्राश क्यों?” और “जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा के अनुरूप, ओरिजिनल च्यवनप्राश कैसे बना पाएंगे?” जैसी लाइनें हटाने का आदेश दिया था।
पतंजलि ने कहा- 40 हर्ब्स वाला हिस्सा हटाने को तैयार
मंगलवार की सुनवाई में पतंजलि के वकील ने कोर्ट को बताया कि कंपनी “40 हर्ब्स” वाला हिस्सा हटाने को तैयार है और “ऑर्डिनरी च्यवनप्राश” कहने की अनुमति मांगी। कोर्ट ने कहा कि अगर “40 हर्ब्स” का जिक्र हटा दिया जाए तो बचता है सिर्फ “व्हाई सेटल फॉर ऑर्डिनरी च्यवनप्राश” जो महज अपने प्रोडक्ट की तारीफ है।
डाबर का आरोप था- पतंजलि उनके प्रोडक्ट की इमेज खराब कर रहा
डाबर कंपनी ने अपनी याचिका में आरोप लगाय था- ‘पतंजलि के विज्ञापन में 40 औषधियों वाले च्यवनप्राश को साधारण कहा गया है। यह हमारे उत्पाद पर सीधा निशाना है।’ डाबर अपने च्यवनप्राश को ’40+ जड़ी-बूटियों से बने होने’ का दावा करता है। च्यवनप्राश बाजार में उनकी 60% से ज्यादा हिस्सेदारी है।
डाबर ने यह भी कहा था कि पतंजलि के विज्ञापन में यह संकेत भी दिया गया है कि दूसरे ब्रांड्स के उत्पादों से स्वास्थ्य को खतरा हो सकता है। डाबर ने तर्क दिया कि पतंजलि पहले भी ऐसे विवादास्पद विज्ञापनों के लिए सुप्रीम कोर्ट में अवमानना के मामलों में घिर चुका है। इससे साफ है कि वह बार-बार ऐसा करता है।
पहले शरबत विवाद में फंसे थे रामदेव

बाबा रामदेव ने 3 अप्रैल को पतंजलि के शरबत की लॉन्चिंग की थी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा था कि एक कंपनी शरबत बनाती है। उससे जो पैसा मिलता है, उससे मदरसे और मस्जिदें बनवाती है। बाबा रामदेव ने कहा था कि जैसे लव जिहाद और वोट जिहाद चल रहा है, वैसे ही शरबत जिहाद भी चल रहा है।
इसके खिलाफ रूह अफजा शरबत बनाने वाली कंपनी हमदर्द ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कंपनी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलीलें दीं। रोहतगी ने कहा कि यह धर्म के नाम पर हमला है।
भ्रामक विज्ञापन केस में कोर्ट से माफी मांग चुके रामदेव
- अगस्त 2022: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, आरोप—पतंजलि कोविड और दूसरी बीमारियों के इलाज के झूठे दावे कर रही है।
- नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का आदेश दिया, लेकिन आदेश के बाद भी कंपनी ने प्रचार जारी रखा।
- 27 फरवरी 2024: कोर्ट ने पतंजलि को फिर फटकार लगाई और बाबा रामदेव-आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया।
- मार्च-अप्रैल 2024: कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई की चेतावनी दी, कहा—आदेश न मानने पर सजा हो सकती है।
- 2025: बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने माफीनामा दिया, कोर्ट ने केस बंद किया।