भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट लगातार तीसरे महीने गिरा:  अगस्त में एक्सपोर्ट 16.3% घटकर ₹58,816 करोड़ पर आया, ट्रम्प के 50% टैरिफ का असर

भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट लगातार तीसरे महीने गिरा: अगस्त में एक्सपोर्ट 16.3% घटकर ₹58,816 करोड़ पर आया, ट्रम्प के 50% टैरिफ का असर


नई दिल्ली7 घंटे पहले

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भारत का अमेरिका को होने वाला एक्सपोर्ट अगस्त में लगातार तीसरे महीने गिरा है। अगस्त में एक्सपोर्ट 16.3% घटकर 6.7 बिलियन डॉलर यानी 58,816 करोड़ रुपए पर आ गया, जो 2025 की अब तक की सबसे बड़ी मंथली गिरावट है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव के मुताबिक, भारत के एक्सपोर्ट में यह गिरावट डोनाल्ड ट्रम्प के लगाए गए 50% टैरिफ का असर है। हालांकि, भारत के एक-तिहाई एक्सपोर्ट जैसे – दवाईयां और स्मार्टफोन पर कोई टैरिफ नहीं है, लेकिन बाकी सेक्टर भारी दबाव में हैं।

एक्सपोर्ट में गिरावट टैरिफ बढ़ने का नतीजा: GTRI

GTRI के अनुसार, यह गिरावट टैरिफ बढ़ने का नतीजा है। 4 अप्रैल तक भारत का एक्सपोर्ट जनरल MFN (मोस्ट फेवर्ड नेशन) ड्यूटी के तहत था। 5 अप्रैल को अमेरिका ने 10% टैरिफ लागू किया, जिसके बाद मई में इंपोर्टर्स ने जल्दी-जल्दी खरीदारी की और एक्सपोर्ट बढ़ा।

वहीं जून से 10% टैरिफ और देश-विशेष उपायों की चर्चा ने भारत की कॉस्ट कॉम्पिटिटिवनेस को प्रभावित किया, जिससे खरीदारों ने दूसरे सप्लायर्स की ओर रुख किया। जुलाई में भी गिरावट जारी रही। अगस्त में हालात और बिगड़े, जब 7 अगस्त को टैरिफ 25% और 27 अगस्त को 50% हो गया।

GTRI ने कहा कि एक्सपोर्टर्स को एडजस्टमेंट का मौका नहीं मिला, जिससे अगस्त में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। सितंबर में 50% टैरिफ का पूरा असर दिखेगा और एक्सपोर्ट में गिरावट बढ़ सकती है।

कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित?

कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा, झींगा और कालीन जैसे सेक्टरों पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है। इनका 30-60% एक्सपोर्ट अमेरिका पर निर्भर है। GTRI का अनुमान है कि अगर 50% टैरिफ 2026 तक जारी रहा, तो भारत को अमेरिका में 30-35 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट का नुकसान हो सकता है।

यह भारत के कुल माल एक्सपोर्ट का करीब 20% है, क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट बाजार है। वहीं उद्योग संगठनों ने सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। उनकी सिफारिशों में शामिल हैं…

  • इंटरेस्ट इक्वलाइजेशन प्लान के तहत सब्सिडी वाली ब्याज दरें।
  • एक्सपोर्ट प्रमोशन प्रोग्राम के जरिए ड्यूटी रिफंड में तेजी।
  • मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद होने से बचाने के लिए फाइनेंशियल मदद।

हालांकि, सरकार ने खपत बढ़ाने के लिए कई प्रोडक्ट्स पर GST दरें कम की हैं, लेकिन एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए खास उपाय अभी तक नहीं हुए हैं। GTRI ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द राहत नहीं मिली, तो नौकरियां जाएंगी और 2026 में भारत का व्यापार प्रदर्शन कमजोर हो सकता है।

भारत-अमेरिका ट्रेड डील की उम्मीद

वहीं भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर चर्चा को लेकर पॉजिटिव संकेत मिले हैं। ट्रम्प के 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद पहली बार ट्रेड डील पर बातचीत के लिए मंगलवार (16 सितंबर) को अमेरिकी दल भारत पहुंचा था। अमेरिकी टीम के साथ मीटिंग के बाद कॉमर्स मिनिस्ट्री ने एक बयान में कहा था कि भारत और अमेरिका ने ट्रेड डील को जल्द से जल्द फाइनल करने के अपनी कोशिशें तेज करने का फैसला किया है।

बयान के मुताबिक, मीटिंग में ट्रेड एग्रीमेंट्स के कई पहलुओं पर पॉजिटिव चर्चा हुई। दोनों देशों का लक्ष्य एक ऐसा समझौता करना है, जो दोनों के लिए फायदेमंद हो और बाइलेट्रल ट्रेड को और मजबूत करे। यह कदम दोनों देशों के बीच इकोनॉमिक रिलेशनशिप को गहरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

कॉमर्स मिनिस्ट्री ने यह बयान नई दिल्ली में हुई करीब 7 घंटे की मीटिंग के बाद जारी किया था। इस मीटिंग में अमेरिकी ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस के चीफ नेगोशिएटर ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक टीम ने भारत के कॉमर्स डिपार्टमेंट के स्पेशल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल के साथ चर्चा की थी। दोनों पक्षों ने भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्तों के महत्व को स्वीकार किया।

अगले राउंड की बातचीत की तारीख तय नहीं हुई

कॉमर्स मिनिस्ट्री का यह बयान एक्सपोर्टर्स के लिए उम्मीद की किरण है, जो 50% टैरिफ हटने की उम्मीद कर रहे हैं। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है, जहां पिछले साल 86 बिलियन डॉलर यानी 7.54 लाख करोड़ का एक्सपोर्ट हुआ था। जिसमें से 40-45% सामान पर अभी ज्यादा टैरिफ लागू है।

हालांकि, इस मीटिंग में यह तय नहीं हुआ है कि ट्रेड डील पर छठे राउंड की बातचीत कब होगी। दोनों देशों के बीच ट्रेड पर छठे दौर की बातचीत 25 से 29 अगस्त के बीच होनी थी, लेकिन अमेरिका की ओर से भारतीय सामानों पर 50% टैरिफ लगाने के कारण इसे टाल दिया गया था। अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर यह टैरिफ लगाया था।

US भारत का डेयरी मार्केट खोलना चाहता है, इसलिए डील में देरी

अमेरिका चाहता है कि उसके डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, पनीर, घी को भारत में आयात की अनुमति मिले। भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है और इस सेक्टर में करोड़ों छोटे किसान लगे हुए हैं।

भारत सरकार को डर है कि अगर अमेरिकी डेयरी उत्पाद भारत में आएंगे, तो वे स्थानीय किसानों को भारी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा धार्मिक भावना भी जुड़ी हुई हैं।

अमेरिका में गायों को बेहतर पोषण के लिए जानवरों की हड्डियों से बने एंजाइम (जैसे रैनेट) को उनके खाने में मिलाया जाता है। भारत ऐसी गायों के दूध को ‘नॉन वेज मिल्क’ यानी मांसाहारी दूध मानता है।

2030 तक व्यापार को 500 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य

भारत और अमेरिका का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 191 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जुलाई 2025 में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.64% बढ़कर 33.53 अरब डॉलर हो गया, जबकि आयात 12.33% बढ़कर 17.41 अरब डॉलर रहा।

अमेरिका इस दौरान भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा, जिसके साथ 12.56 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। अप्रैल से भारत का अमेरिका को निर्यात लगातार बढ़ रहा है।

पीयुष गोयल ने कहा था- नवंबर तक फाइनल हो जाएगी डील

इससे पहले केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अमेरिका के साथ ट्रेड डील होने की उम्मीद जताई थी। 2 सितंबर को पियूष गोयल ने एक वैश्विक निवेशक सम्मेलन में कहा मुझे उम्मीद है कि चीजें जल्द ही पटरी पर लौट आएंगी और हम नवंबर तक बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट (BTA) को अंतिम रूप दे देंगे।

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