भागवत बोले- डर के चलते भारत पर टैरिफ लगाया गया:  वे सोचते हैं हम मजबूत हुए तो उनका क्या होगा; जब सात समंदर दूरी तो डर कैसा

भागवत बोले- डर के चलते भारत पर टैरिफ लगाया गया: वे सोचते हैं हम मजबूत हुए तो उनका क्या होगा; जब सात समंदर दूरी तो डर कैसा


नागपुर3 घंटे पहले

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भागवत ने ये बातें शुक्रवार को नागपुर में ब्रह्माकुमारी विश्व शांति सरोवर के 7वें स्थापना दिवस पर कहीं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि लोगों (अमेरिका) को डर है कि अगर भारत मजबूत हुआ तो उनका क्या होगा, इसलिए टैरिफ लगाए जा रहे हैं।

भागवत ने किसी देश का नाम लिए बिना कहा कि ऐसे कदम वो लोग उठाते हैं, जो खुद को हमेशा चर्चा में देखना चाहते हैं। भागवत ने ये बातें नागपुर में ब्रह्माकुमारी विश्व शांति सरोवर के 7वें स्थापना दिवस पर कहीं।

दरअसल ट्रम्प ने 30 जुलाई को भारत पर 25% टैरिफ का ऐलान किया था। यह 7 अगस्त को लागू हुआ। वहीं रूसी तेल खरीदने की वजह से भारत पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया गया, जो 27 अगस्त से लागू हुआ।

ट्रम्प का कहना था कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर खुले मार्केट में बेच रहा है। इससे पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ जंग जारी रखने में मदद मिल रही है।

भागवत बोले- दुनिया को मैं छोड़कर हम को समझना होगा भागवत ने आगे कहा कि जब तक मनुष्य अपने वास्तविक स्वरूप को नहीं समझेंगे, तब तक उन्हें और देशों को समस्याओं का सामना करना पड़ता रहेगा। उन्होंने कहा कि अगर हम दया दिखाएं और डर पर काबू पा लें, तो हमारा कोई दुश्मन नहीं रहेगा।

आज दुनिया समाधान खोज रही है, क्योंकि अपनी अधूरी दृष्टि के कारण वह आगे का रास्ता नहीं खोज पा रही है। उनके सिर्फ मैं वाले दृष्टिकोण के कारण उनके लिए रास्ता खोजना असंभव है।

भागवत बोले- भारत आगे का रास्ता दिखाने में सक्षम आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत देश महान है और भारतीयों को भी महान बनने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत बड़ा है लेकिन यह और भी बड़ा होना चाहता है।

भारतीयों में अपनेपन की प्रबल भावना होती है। कठिनाई और दुःख में भी, यहां के लोग अपनेपन की इसी भावना के कारण संतुष्ट रहते हैं।

अमेरिकी टैरिफ पर भागवत के पिछले 2 बयान…

27 अगस्त 2025: भागवत बोले- इंटरनेशनल ट्रेड किसी दबाव में नहीं होगा

अमेरिकी टैरिफ विवाद के बीच भागवत ने 16 दिन पहले कहा था कि आत्मनिर्भरता जरूरी है, देश आत्मनिर्भर होना चाहिए। स्वदेशी चीजों का मतलब विदेशों से संबंध तोड़ना नहीं है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार तो चलेगा, लेन-देन होगा। लेकिन किसी के दबाव में नहीं होगा।

8 अगस्त 2025: दुनिया अर्थव्यवस्था नहीं भारतीय अध्यात्म को महत्व देती है, इसलिए हम विश्वगुरु

भागवत ने कहा था, दुनिया भारत को उसके अध्यात्म (आध्यात्मिक ज्ञान) के लिए महत्व देती है। इसी वजह से हमें विश्वगुरु मानती है। दुनिया को इस बात से मतलब नहीं है कि हमारी अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से बढ़ रही है। भले ही हमारी इकोनॉमी 3 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा हो जाए, तब भी दुनिया को उसका आश्चर्य नहीं होगा। कई देश ऐसा कर चुके हैं। अमेरिका अमीर है, चीन भी अमीर बना है और कई अमीर देश हैं। कई चीजें हैं जो दूसरे देशों ने की हैं और हम भी करेंगे।

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भागवत बोले- संघ जितना विरोध किसी संगठन का नहीं हुआ, संघ में प्रोत्साहन नहीं, बल्कि हतोत्साहन

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने संघ के 100 साल पूरे होने पर कहा था कि जितना विरोध राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का हुआ है, उतना किसी भी संगठन का नहीं हुआ। इसके बावजूद स्वयंसेवकों के मन में समाज के प्रति शुद्ध सात्विक प्रेम ही है। इसी प्रेम के कारण अब हमारे विरोध की धार कम हो गई है।​​​​​​​ पूरी खबर पढ़ें…

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