ढूंढ़ाड़ की रियासतकालीन परंपरा और आस्था का प्रतीक मानी जाने वाली श्री गोपालजी महाराज की 207वीं हेड़े की परिक्रमा शुक्रवार को भक्तिमय वातावरण में सम्पन्न हुई। सुबह 6 बजे आरती और जयकारों की गूंज के बीच गोपालजी का रास्ता स्थित श्री नृसिंहजी के मंदिर से
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इस परिक्रमा की खासियत रही की इसमें ठाकुरजी और राधारानी के बाल स्वरूपों को 35 किलो सोने के जेवर और रत्न जडि़त राजसी पोशाक पहनाकर 400 किलो की चांदी की पालकी में नगर भ्रमण कराया गया। इस शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, ऊंट, लवाजमे और बैंड-बाजे शामिल रहे।
चांदी की पालकी में श्री गोपालजी, राधाजी और उनकी सखियों ललिताजी-विशाखाजी के रूप में किए गए।
कुंज बिहारी धोतीवाले ने बताया- इस ऐतिहासिक परिक्रमा में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। 17 घंटे तक चले इस 6 कोस लंबे मार्ग में ठाकुरजी और राधारानी करीब 20 मंदिरों में पहुंचे। जयपुर की परंपरागत वेशभूषा- सफेद धोती, कुर्ता और मोतिया रंग की पगड़ी धारण कर श्रद्धालु ढोलकी और मंजीरों की ताल पर भजन-कीर्तन करते हुए शामिल हुए।
बच्चे बने राधा-गोपाल और उनकी सखियां
गोपालजी के मंदिर रवाना होकर जौहरी बाजार के सभी प्राचीन मंदिरों में ठाकुर जी को पारंपरिक भजन सुनाए। इसके बाद सभी श्रद्धालु सांगानेरी गेट पर एकत्र हुए। यहां से परिक्रमा धुलेश्वर महादेव, हाथीबाबू का बाग, पंचमुखी हनुमान, धूलकोट, गढ़ गणेश, नहर के गणेश जी, धोतीवालों की बगीची, बद्रीनारायण जी की डूंगरी, लाल डूंगरी स्थित कल्याण जी और गणेश मंदिर होते हुए गलता पहुंची। यहां घाट के बालाजी के दर्शन कर भक्तों ने विश्राम किया।
घाट की गुणी स्थिति फतेहचन्द्रमाजी मंदिर में चार बच्चों को बहुमूल्य जेवर और रत्न जड़ित राजसी पोशाक पहनाकर श्रृंगारित किया। बच्चों को श्री गोपालजी, राधाजी और दो सखियों ललिताजी-विशाखाजी के रूप में सजाया गया। चांदी की तीन पालकी में चारों स्वरुप सरकारों को विराजमान कर आरती उतारी। थानों का सशस्त्र पुलिस बल से घिरी पालकी विभिन्न मार्गों से होते हुए शाम को सांगानेरी गेट पहुंची।

शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, ऊंट और बैंड-बाजा भी शामिल हुए।
सांगानेरी गेट से शोभायात्रा बनी भव्य जुलूस
स्वरूप सरकारों के साथ परिक्रमा सांगानेरी गेट पहुंची। यहां हाथी, घोड़े, ऊंट, लवाजमे और बैंड-बाजा परिक्रमा में शामिल होने से यह शोभायात्रा में बदल गई। दूधिया रोशनी और भव्य लवाजमे ने शोभायात्रा को और भी भव्य बना दिया। जैसे-जैसे शोभायात्रा का काफिला बढ़ा तो लोगों की संख्या भी बढ़ती गई। जगह-जगह शोभायात्रा का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।

लोग भजनों पर नाचते गाते परिक्रमा में शामिल हुए।
आतिशबाजी और जयकारों के बीच सम्पन्न हुई परिक्रमा
शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज, श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया और अनेक जन प्रतिनिधियों, व्यापारिक संगठनों के प्रमुखों ने भी ने स्वरूप सरकार की आरती उतारी। बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, चौड़ा रास्ता होते हुए शोभायात्रा रात साढ़े 10 बजे पुन: गोपालजी का रास्ता स्थित निज मंदिर श्री गोपालजी महाराज पहुंची। यहां आतिशबाजी और जयकारों के साथ यात्रा का समापन हुआ।